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पत्रकारिता पेशा नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी: पवन सिंह चौहान

लेखन केवल एक कला नहीं, बल्कि एक ईश्वरीय वरदान

लखनऊ(एसएनबी)। बृहस्पतिवार को जानकीपुरम में राजधानी लखनऊ से प्रकाशित राष्ट्रीय हिंदी मासिक पत्रिका सौम्य भारत का प्रथम स्थापना दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सीतापुर के एमएलसी व सभापति पवन सिंह चौहान व अन्य अतिथियों ने मां सरस्वती की फ़ोटो पर पुष्प अर्पित व दीप प्रज्वलित कर किया। इस दौरान सम्पादक प्रमोद कुमार यादव ने मुख्य अतिथि को पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया।


मुख्य अतिथि सीतापुर के एमएलसी व विधान परिषद की वित्तीय एवं प्रशासनिक विलम्ब समिति के सभापति पवन सिंह चौहान ने सौम्य भारत मासिक पत्रिका के प्रथम स्थापना दिवस पर कहा कि पत्रकारिता में चुनौतियाँ होती हैं, जिनसे निपटने के लिए आत्मविश्वास, दृढ़ संकल्प और स्पष्ट संवाद कौशल जरूरी होते हैं। उन्होंने कहा कि सरल स्वभाव का व्यक्ति भी पत्रकारिता में सफल हो सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण गुणों और कौशलों को अपनाना आवश्यक होता है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को एक मिशन माना जा सकता है, क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य समाज को सत्य, निष्पक्ष और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करना होता है। यह केवल एक पेशा नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी भी है, जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में कार्य करती है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से सौम्य भारत की टीम अपने लेखन व आत्मविश्वास के साथ अपने काम को करे और कठिन परिस्थितियों में भी सच का साथ देने के लिए तैयार रहे।


ग्राम्य वार्ता के प्रधान संपादक श्याम बिहारी गुप्ता ने कहा कि वर्तमान समय में पत्र-पत्रिकाओं का संचालन करना वाकई कठिन हो गया है। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें डिजिटल मीडिया का बढ़ता प्रभाव, विज्ञापन राजस्व में गिरावट, प्रिंटिंग और वितरण लागत में वृद्धि, और पाठकों की बदलती रुचियां शामिल हैं।


सौम्य भारत के संपादकीय सलाहकार एसवी सिंह ‘प्रहरी’ ने कहा कि लेखन केवल एक कला नहीं, बल्कि एक ईश्वरीय वरदान है, जो सृजन, ज्ञान और आत्म-अभिव्यक्ति का पवित्र माध्यम है। जब कोई लेखक सच्चे मन और उद्देश्य के साथ लिखता है, तो उसके शब्द पाठकों के जीवन में परिवर्तन लाने की शक्ति रखते हैं।
उन्होंने कहा कि ईश्वर ने जैसे सृष्टि की रचना की, वैसे ही एक लेखक अपने विचारों, कल्पनाओं और अनुभवों के माध्यम से नई दुनिया रचता है। उन्होंने कहा कि लेखन समाज को सत्य, मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान करता है, ठीक वैसे ही जैसे ईश्वरीय ज्ञान हमें सही राह दिखाता है।
प्रहरी ने कहा कि एक लेखक के शब्द समय से परे जाकर भी जीवित रहते हैं, जैसे ऋषियों, दार्शनिकों और संतों की रचनाएँ युगों तक प्रेरित करती हैं। लेखन हृदय की गहराइयों में छिपी भावनाओं को उजागर करने का साधन है, जिससे यह मानव और ईश्वर के बीच संवाद का माध्यम भी बन सकता है।
सौम्य भारत के स्थानीय संपादक नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान ने पत्रिका के गौरवपूर्ण एक वर्ष की चर्चा करते हुए कहा कि हम लोग सौम्य भारत को एक मिशन के रूप में चला रहे हैं। हम पत्रिका के माध्यम से समाज के हर वर्ग तक पहुंचने की कोशिश में हैं।
अंत में सौम्य भारत के सम्पादक प्रमोद कुमार यादव ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सौम्य भारत की यात्रा वर्ष 2008 में साप्ताहिक अखबार से शुरू हुई थी। इसके बाद यह हिन्दी दैनिक के रूप में आया। पिछले साल सौम्य भारत राष्ट्रीय मासिक समाचार पत्रिका बनकर आयी। यह यात्रा बेहद कठिन है, किन्तु जागरूक लोगों का सहयोग इसे आसान बना रहा है। इस दौरान डॉ सरोज ठाकुर उप सम्पादक, वेद दीक्षित मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति की कार्यकारिणी सदस्य, जिला संवाददाता अजय यादव, विवेक पांडेय वरिष्ठ पत्रकार, रिटायर्ड जूनियर कमिसन अधिकारी आरएस यादव, गुलाब शर्मा, कामरान खान छायाकार, मेजर महेन्द्र सिंह यादव, रीता कृष्ण मोहन सम्पादक फ़र्क इंडिया, रानू सिंह लेखिका, डॉ इंदू सुभाष वरिष्ठ समाजसेविका, सब इंस्पेक्टर भूप सिंह यादव व राजेश प्रसाद मौजूद थे।