लखनऊ|| आंबेडकर सभा में में ज्योतिबा फुले के जयन्ती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए सदस्य विधान परिषद् एवं पूर्व चेयरमैन, अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम डा० लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा कि आजादी से पहले अछूत के स्थान पर दलित शब्द को प्रचलन में लाने का श्रेय समाज सुधारक ज्योतिबा फुले को जाता है। उन्होने कहा कि 19वीं सदी के भारत में सामाज सुधारक, शिक्षा विद और दलितों एवं महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य करने वाले अग्रणी व्यक्ति थे। उन्होने 1848 में लड़कियों का पहला स्कूल खोला तथा इस कार्य में उनकी पत्नी सावित्री बाई फूले ने उनका सहयोग किया।
उनकी पुस्तक गुलाम गिरी में जाति व्यवस्था और गुलामी की तुलना करते हुए उन्होने सामाजिक सुधार पर बल दिया। ज्योतिबा फुले को डॉ० भीम राव आंबेडकर अपना प्ररेणाश्रोत मानते थे।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सचिवालय संघ के अध्यक्ष अर्जुन देव भारती ने कहा कि ज्योतिबा फूले ने महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया।
आंबडेकर महासभा के महामंत्री अमरनाथ प्रजापति ने कहा कि ज्योतिबा फूले ने वंचित जातियों के लिए जीवनभर संघर्ष किया।कार्यक्रम का संचालन रामचन्द्र पटेल ने किया।