सुबह उठकर अधिकतर लोग सबसे पहले अपना फोन देखते हैं। जी हाँ और कई लोग हैं रात में भी सोने से पहले अपना मोबाइल फोन देखकर ही सोते हैं। हालाँकि मोबाइल देखने के बाद हम या तो उसे तकिए के नीचे रख देते हैं या फिर अपने बगल में ही फोन को रख देते हैं। ज्यादातर लोग इसलिए तकिए के नीचे अपना फोन रखकर सोते हैं कि अगर मोबाइल बजा तो वह झट से उठा लेंगे। हालाँकि यह बहुत गलत और खतरनाक साबित हो सकता है? जी दरअसल मोबाइल को तकिए के नीचे रखकर सोने से बहुत सारे नुकसान हैं। इसको लेकर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी कई तरह की रिसर्च की है। जी दरअसल साल 2011 में इससे जुड़ी हुई एक रिसर्च के मुताबिक, मोबाइल तकिए के नीचे रखकर सोने से रेडियो फ्रीक्वेंसी हमेशा आपके पास रहती है, जो नींद में भी बाधा डाल सकती है। ये व्यस्कों के मुकाबले बच्चों पर ज्यादा नुकसानदायक है।
इसके अलावा जब हम अपने मोबाइल को तकिए के नीचे रखकर सोते हैं, तो अधिकतर इसकी ब्लू लाइट से परेशान होते हैं। वहीं जब भी ये वाइब्रेट होता है या फिर इसकी रिंग टोन बजती है तो हम इसे देख ही लेते हैं। ऐसे में बार-बार अंधेरे में फोन की ब्लू लाइट देखने के कारण हमारी आंखों को नुकसान पहुंचता है। आपको बता दें कि फोन को तकिए के नीचे रखकर सोने का सबसे बड़ा खतरा ये है कि जब मोबाइल फोन गर्म होता है और तकिए के नीचे रखने के बाद इसमें आग लगने का और जान का खतरा बना रहता है।
इसके अलावा आपको बता दें कि कई लोग फोन को अपने पास चार्जिंग में लगाकर सोते हैं, जो बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। जी दरअसल हाल ही में हुई रिसर्च के मुताबिक, फोन की रिंगसिर्फ एक दिन की नींद ही नहीं है बल्कि ये तो आपके स्लीप पैटर्न को डिस्टर्ब कर सकती है। आपको यह भी बता दें कि इसकी रेडियो फ्रीक्वेंसी स्लीप पैटर्न को कुछ इस तरह चेंज कर सकती है कि आपको नींद आने पर भी थका-थका महसूस हो सकता है।