नई दिल्ली. ब्रज के सभी मंदिरों में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. सोमवार को जन्माष्टमी के अवसर पर सिर्फ भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में ही नहीं बल्कि गोकुल , वृंदावन , बलदेव, महावन, बादग्राम, बरसाना, रावल सहित सभी प्रमुख गांवों में धूमधाम से कान्हा का जन्म मनाया जाएगा.
जन्माष्टमी पर ब्रज के सभी मंदिरों में अलग-अलग समय पर गौशाला की गायों के दूध से दुग्धाभिषेक और दूध, दही, बूरा, शहद और घी से महाभिषेक के साथ ही सुबह की सबसे पहली आरती यानि कि मंगला आरती के दर्शन होंगे. इस दौरान श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन करने के साथ ही ऑनलाइन भी भगवान कृष्ण के जन्म के सभी कार्यक्रमों को देख सकेंगे. मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान और द्वारिकाधीश से 30 अगस्त की मध्य रात को श्रीकृष्ण जन्म का सीधा प्रसारण दूरदर्शन पर किया जाएगा.
श्रीकृष्ण जन्मस्थान में सोमवार की रात्रि को कार्यक्रम की शुरुआत शहनाई और नगाड़े से होगी. इसके बाद सुबह 10 बजे से भागवत भवन में अभिषेक और पुष्पांजलि का कार्यक्रम होगा. जबकि जन्म महाभिषेक का मुख्य कार्यक्रम रात को 11 बजे गणेश-नवग्रह आदि पूजन से होगा. श्रीकृष्ण जन्म के समय रात 12 बजे घंटे-घड़ियाल बजाने और शंखध्वनि के साथ कान्हा का अभिषेक किया जाएगा. इसके बाद लाला के जन्म के दर्शन के लिए मन्दिर के पट यानी दरवाजे रात में डेढ़ बजे तक खुले रहेंगे.
मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में जन्माष्टमी के दिन मंगला आरती के बाद सुबह साढ़े 6 बजे पंचामृत अभिषेक और सुबह साढ़े 8 बजे श्रंगार के दर्शन होंगे. इसके बाद ग्वाल दर्शन और राजभोग आरती होगी. शाम को साढ़े 7 बजे उत्थापन, संध्या और रात को पौने 12 बजे जन्म के दर्शन होंगे.
वहीं वृंदावन बांके बिहारी मंदिर में रात को 12 बजे श्रीकृष्ण विग्रह का दूध, दही, बूरा, शहद और घी से अभिषेक होगा. इसके बाद कान्हा को पीले रंग के वस्त्र पहनाए जाएंगे. हमेशा की तरह बांके बिहारी मंदिर में रात को दो बजे मंगला आरती के दर्शन होंगे और ठाकुर जी को भोग लगाया जाएगा. इसके बाद सुबह साढ़े पांच बजे तक श्रद्धालु मंदिर में दर्शन कर सकेंगे. 31 अगस्त को सुबह पौने आठ बजे से 12 बजे तक नंदोत्सव और उसके बाद दधिकांधा का आयोजन होगा.
नंदोत्सव में श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में विभिन्न प्रकार के खेल-खिलौने, कपड़े, पैसे, फल-फूल और अन्य सामान लुटाकर खुशी व्यक्त की जाती है. जन्माष्टमी पर ब्रज के कई मंदिरों में नंदोत्सव का आयोजन होता है. इसके अलावा वृंदावन के बांके बिहारी में दधिकांधा का आयोजन होता है. जिसमें दही में हल्दी मिलाकर मंदिर के सेवायत होली खेलते हैं. यह प्रतीकात्मक रूप में कान्हा के जन्म की खुशी में ही होता है.
बलदेव और गोकुल में कान्हा के जन्म के उपलक्ष्य में नंदोत्सव और कार्यक्रमों का आयोजन होगा. इसके साथ ही वृंदावन के प्रेम मंदिर, राधाबल्लभ मंदिर, बरसाना और रावल में भी मंदिरों में जन्म कार्यक्रम होंगे. राधारमण मंदिर में सुबह दो घंटे तक लाला का अभिषेक और जन्मोत्सव मनाया जाएगा.