हिंदू धर्म में शरीर के दाएं हिस्से को काफी शुभ माना जाता है। किसी भी शुभ काम को करने के लिए दाएं हाथ से ही करने का जोर दिया जाता है। घर से बाहर निकलने या नई नवेली दुल्हन के घर आने पर भी दाएं पैर का इस्तेमाल करते हैं। घर में किसी भी पूजा पाठ, हवन आदि में दाएं हाथ से इस्तेमाल करते हैं। इतना ही नहीं दाएं हाथ से भोजन करना भी अच्छा माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर दाएं हाथ की इस्तेमाल क्यों किया जाता है। जानिए इसका धार्मिक महत्व।

अर्धनारीश्वर स्वरूप
शास्त्रों के अनुसार, मनुष्य का शरीर का बायां भाग स्त्रियों का प्रतिनिधित्व करता है और दाया भाग पुरुषों का प्रतीक माना जाता है। भगवान शिव ने खुद अर्धनारीश्वर का रूप रखा था। इस रूप में भगवान शिव दाएं और शंकर और बाएं और माता पार्वती के रूप में थे।
दाएं हाथ करता है इस ग्रह का प्रतिनिधित्व
दाहिने हाथ पर सूर्य नाड़ी का प्रतिनिधित्व माना जात है। इसलिए कारण दाएं हाथ से खाने और पूजा करने के लिए जोर दिया जाता है कि शरीर को अधिकतम ऊर्जा प्राप्त हो। इसके साथ ही इस हाथ से भोजन करने से वह जल्द पच जाता है। वहीं शुभ काम करने से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। जिससे देवी-देवता की असीम कृपा मिलती है।
बाएं हाथ का क्यों नहीं करते हैं इस्तेमाल
वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें, तो एक व्यक्ति के शरीर का दायां भाग बाएं हिस्से से काफी ज्यादा मजबूत होता है। क्योंकि बाएं हिस्से में उसका दिल होता है जिसके कारण वह हिस्सा काफी कोमल होता है। इसलिए बाएं हाथ से सिर्फ साधारण कामों को किया जाता है।
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