केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने समान नागरिक संहिता लाने का समर्थन किया और कहा कि जिसने भी संविधान की शपथ ली है, वह इसका कभी विरोध नहीं करेगा। शुक्रवार को समान नागरिक संहिता पर जब उनकी राय पूछी गई तो उन्होंने कहा, ‘संविधान की शपथ लेने वाला कोई भी व्यक्ति यह नहीं कहेगा कि इसे नहीं आना चाहिए।’

समान न्याय के बारे में है सिविल कोड
आरिफ मोहम्मद खान ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘हिंदू कोड पहले से ही है, क्या यह हिंदुओं, सिखों और जैनियों में एकरूपता लाता है? हम विविधता वाले देश हैं। समान नागरिक संहिता विवाह या रीति-रिवाजों के बारे में नहीं है… यह समान न्याय के बारे में है।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसे कई मामले हैं, जहां लोगों ने दो पत्नियां रखने के लिए धर्म परिवर्तन किया है। मैं किसी का नाम नहीं लूंगा।’
‘बुर्का पहनने से कौन रोक रहा है’
हिजाब को लेकर हालिया विवाद पर केरल के राज्यपाल ने कहा, ‘बुर्का पहनने से कौन रोक रहा है? यह एक स्वतंत्र राष्ट्र है, लेकिन संस्थानों को भी अपना ड्रेस कोड रखने का अधिकार है।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसी कई संस्थाएं हैं, जो हिजाब की अनुमति देती हैं। कोई भी वहां जा सकता है।’
हिंसा का समर्थन करने वालों के सामने झुकना अपराध
शाह बानो मामले पर टिप्पणी करते हुए खान, जिन्होंने 1986 में इस मुद्दे से निपटने के लिए नेतृत्व के साथ मतभेदों के कारण कांग्रेस छोड़ दी थी, ने कहा कि वह अपने विचारों पर कायम हैं। उन्होंने कहा, ‘मैंने कहा था कि कानून बनाना कोई बड़ी बात नहीं है, भविष्य में संसद द्वारा कानून को बदला जा सकता है … लेकिन जो लोग देश के खिलाफ बोलते हैं, जो लोग हिंसा का समर्थन करते हैं, उनके सामने झुकना मेरे लिए देश के खिलाफ अपराध था।’
तुष्टिकरण की राजनीति से समुदाय को नुकसान
केरल के राज्यपाल ने यह पूछे जाने पर कि क्या यह तुष्टिकरण की राजनीति है, कहा कि यह एक खास तबके का तुष्टिकरण है, क्योंकि बड़े पैमाने पर समुदाय को केवल इससे नुकसान उठाना पड़ा है। बता दें, एक समान नागरिक संहिता पूरे देश के लिए एक कानून सुनिश्चित करेगी, जो सभी धार्मिक और आदिवासी समुदायों पर उनके व्यक्तिगत मामलों जैसे संपत्ति, विवाह, विरासत, गोद लेने आदि में लागू होगा।
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