पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान काल भैरव को समर्पित कालाष्टमी पर्व मनाया जाएगा। कई जगहों पर इस दिन काल भैरव जयंती भी मनाई जाती है। मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन भैरव देव की विधिवत पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है और उन्हें संकटों से मुक्ति मिलती है। इस वर्ष कालाष्टमी पर्व 16 दिसंबर को मनाया जाएगा। मान्यता है कि भगवान शिव के रौद्र रूप की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति होती है और अज्ञात भय का नाश हो जाता है। साथ ही भैरव देव की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। लेकिन भक्तों को इस दिन कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए और कुछ नियमों का पालन करना चाहिए।

कालाष्टमी पर न करें ये काम
शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान काल भैरव जिस भक्त से प्रसन्न हो जाते हैं, उसके जीवन खुशियों का अम्बार लग जाता है। लेकिन जो उन्हें क्रोधित करता है, उसे जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कालाष्टमी के दिन तामसिक पूजा करने से बचें। ऐसा इसलिए क्योंकि इसका दुष्प्रभाव आपको परेशान कर सकता है। साथ ही इस दिन किसी की बुराई करने से बचना चाहिए। कालाष्टमी के दिन अन्न का अपमान करना पाप के समान होता है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि इस दिन रसोई घर में झाड़ू का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।
कालाष्टमी पर करें ये काम
भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए कालाष्टमी के दिन ‘ॐ कालभैरवाय नम:’ का 108 बार जाप करें। साथ ही इस दिन विधिवत भगवान काल भैरव की पूजा करें। मान्यता है कि बेलपत्र पर चंदन और कुमकुम से ‘ॐ नमः शिवाय’ लिखने से और फिर इस पत्र को भगवान काल भैरव को अर्पित करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके साथ जीवन में धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
काल भैरव देवता के मंत्र
* अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम् ।
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि ।।
* ॐ शिवगणाय विद्महे, गौरीसुताय धीमहि। तन्नो भैरव प्रचोदयात ।।
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