पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार बुरी ही होती जा रही है। ऐसे में पाकिस्तान लंबे समय से आईएमएफ के सामने हाथ फैला रहा है लेकिन उसे अब तक मदद नहीं मिली है। पाकिस्तान के स्टेटिक्स ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक महंगाई 48 साल के चरम स्तर पर पहुंच गई है। जनवरी 2023 में पाकिस्तान की महंगाई दर 27.55 पर पहुंच गई जो कि 1975 के बाद सबसे ऊंची है। पाकिस्तान पहले से भी विदेशी कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। संकट की इस घड़ी में उसके मित्र चीन ने भी हाथ पीछे खींच लिए हैं।

मंगलवार को आईएमएफ का एक प्रतिनिधिमंडल बेलआउट पैकेज पर बात करने के लिए इस्लामाबाद पहुंचा है। बता दें कि आईएमएफ ने कर्ज देने के लिए कई कठिन शर्तें रखी हैं। हाल में पाकिस्तान आईएमएफ के सामने गिड़गिड़ा रहा है क्योंकि उसके मित्र देशों ने भी सहायता से इनकार कतर दिया है। कराची पोर्ट पर हजारों शिपिंग कंटेनर अटके हुए हैं क्योंकि पाकिस्तान का आयात और निर्यात दोनों ही बुरी तरह प्रभावित हुआ है। वहीं बैंक जरूरी खाद्य सामग्री और दवाओं के अतिरिक्त कोई खर्च देने को तैयार नहीं हैं।
पाकिस्तानी रुपये की कीमत तेजी से गिरने और आयात प्रभावित होने की वजह से कारखाने भी नहीं चल पा रहे हैं। सरकारी निर्माण के कार्य रोक दिए गए हैं। कपड़े की फैक्ट्री लगभग बंद हो चुकी हैं और घरेलू निवेश भी बहुत कम हो गया है। जनवरी 2023 में कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स 2.88 फीसदी बढ़ गया। कराची का हाल यह है कि सैकड़ों दिहाड़ी मजदूर अपने औजार लिए सिर्फ इंतजार करते रह जाते हैं। उनसे काम कराने के लिए कोई तैयार नहीं हैं।
लोगों की आमदनी घट गई है और महंगाई बढ़ गई है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने ही 2019 में आईएमएफ के साथ कई अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज को लेकर बात की थी। हालांकि उनके सामने सब्सिडी को घटाने जैसी कई चुनौतियां थीं। पाकिस्तान एक ही दशक में दो बार आईएमएफ के साथ डील कर चुका है लेकिन दोनों बार ही सफल डील नहीं हो पाईं।
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