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 इस विशेष दिन पर भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती है..

प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है। इस विशेष दिन पर भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती है। मान्यता है कि भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से कई प्रकार के दुख दूर हो जाते हैं।  
हिंदू धर्म में भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय की पूजा का विशेष महत्व है। उनकी पूजा के लिए हर माह की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी व्रत राखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से सुख-समृद्धि, सौभाग्य और सफलता की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, स्कंद षष्ठी व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि अर्थात 25 मई 2023 के दिन रखा जाए। आइए जानते हैं पूजा के लिए शुभ मुहूर्त, योग और पूजा विधि

ज्येष्ठ मास स्कंद षष्ठी 2023 शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि का शुभारंभ 23 जुलाई सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 24 जुलाई दोपहर 01 बजकर 42 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में यह व्रत 23 जुलाई 2023, रविवार के दिन रखा जाएगा। बता दें कि इस दिन वृद्धि योग का निर्माण हो रहा है जो शाम 06 बजकर 08 मिनट तक रहेगा और इसके बाद ध्रुव योग शुरू हो जाएगा। इस दिन गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और रवि योग का भी लाभ साधकों को मिलेगा।

स्कंद षष्ठी 2023 पूजा महत्व

भगवान कार्तिकेय की पूजा सबसे अधिक दक्षिण भारत में की जाती है। वहां उन्हें भगवान मुरगन के नाम से पूजा जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान कार्तिकेय देवताओं के सेनापति हैं और संकट में पड़े अपने भक्तों को जल्द सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। ऐसे में स्कंद षष्ठी के दिन व्रत और पूजा पाठ करने से व्यक्ति को कई प्रकार के दुखों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है और जीवन में धन-धान्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

स्कंद षष्ठी 2023 पूजा विधि

स्कंद षष्ठी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करें और फिर भगवान कार्तिकेय की बालस्वरूप प्रतिमा या तस्वीर शुभ दिशा में स्थापित करें। इसके बाद उन्हें चंदन, धूप, दीप, पुष्प, वस्त्र इत्यादि अर्पित करें। भोग में एक मिष्ठान और पंच फल अवश्य रखें। इसके बाद स्कंद षष्ठी व्रत की कथा सुनें। इस दिन माता कार्तिकी और भगवान शिव की पूजा अवश्य करें। पूजा के अंत में कार्तिकेय भगवान की आरती करें और प्रसाद को परिवार के सदस्यों में बांट दें।