फर्क इंडिया
डेस्क. देश में वैश्विक मोर्चे पर कच्चा तेल रिकॉर्ड ऊंचाई से ठीक-ठाक नीचे चल रहा है। दूसरी ओर रूस से रियायती दर पर भारतीय कंपनियों ने हालिया महीनों में रिकॉर्ड मात्रा में कच्चे तेल की खरीदारी कर रही है। इससे भारत की तेल विपणन कंपनियों को रिकॉर्ड मुनाफा हो रहा है।

पीटीआई की एक खबर में रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के हवाले से कहा गया है कि भारतीय तेल विपणन कंपनियां रिकॉर्ड मुनाफा कमा रही हैं. चालू वित्त वर्ष में इन कंपनियों का टैक्स से पहले का मुनाफा कम से कम 1 लाख करोड़ रुपये रह सकता है, जो कि एक नया रिकॉर्ड होगा. भारतीय तेल कंपनियों को इससे पहले कभी भी ऐसा मुनाफा नहीं हुआ था।
क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत की तेल विपणन कंपनियों का ऑपरेटिंग प्रॉफिट 1 लाख करोड़ रुपये रह सकता है। यह वित्त वर्ष 2016-17 से 2021-22 के दौरान औसतन 60 हजार करोड़ रुपये रहा है। वहीं पिछले वित्त वर्ष के दौरान यह आंकड़ा 33 हजार करोड़ रुपये रहा था। इस तरह देखें तो तेल कंपनियों का प्री-टैक्स प्रॉफिट साल भर पहले की तुलना में 3 गुणे से भी ज्यादा रह सकता है।
क्रिसिल की मानें तो भारतीय तेल विपणन कंपनियों को हो रहे रिकॉर्ड मुनाफे के लिए 2 वजहें जिम्मेदार हैं. पहली वजह तो घरेलू स्तर पर डीजल-पेट्रोल के महंगे भाव हैं. वहीं दूसरी ओर वैश्विक मोर्चे पर कच्चे तेल के भाव में कमी से मदद मिल रही है। क्रिसिल के अनुसार, साल भर पहले की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान ही कच्चे तेल का भाव 30 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है।
डीजल-पेट्रोल की बात करें तो दोनों प्रमुख ईंधनों के खुदरा भाव में लंबे समय से कोई बदलाव नहीं हुआ है. आखिरी बार डीजल-पेट्रोल के दाम मई 2022 में कम किए गए थे. इस तरह देखें तो 14 महीने से डीजल और पेट्रोल के भाव को कम नहीं किया गया है, जबकि कच्चा तेल तेजी से सस्ता हुआ है। देश में डीजल और पेट्रोल की खुदरा कीमतें इंडियन ऑयल समेत अन्य सरकारी तेल विपणन कंपनियां तय करती हैं। कहा जाता है कि डीजल-पेट्रोल के भाव वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के हिसाब से तय किए जाते हैं।
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