विभिन्न योजनाओं के तहत जो धनराशि जारी होती है, उसका उपयोग होने में देरी होने पर यह बैंक में जमा कर दी जाती है। जब तक धनराशि बैंक में जमा रहती है, तब तक उस पर ब्याज बनता है। कार्यदायी संस्थाओं को कायदे से ब्याज की धनराशि राजकोष में लौटानी चाहिए। ऐसा न करने से राज्य सरकार को करोड़ों रुपये की वित्तीय हानि हो रही है। नियोजन विभाग के स्तर पर नामित कार्यदायी संस्थाएं अब निर्माण योजनाओं की बैंक में जमा धनराशि का ब्याज नहीं दबा पाएंगी। मामला संज्ञान में आने के बाद वित्त विभाग ने सभी कार्यदायी संस्थाओं को ब्याज की धनराशि राजकोष में लौटाने के आदेश दिए हैं। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव(वित्त) आनंद बर्द्धन ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों, प्रभारी सचिवों और सभी कार्यदायी संस्थाओं को पत्र जारी किया है। पत्र में कहा गया कि ब्याज की धनराशि वापस न करने से सरकार को वित्तीय हानि हो रही है।
ब्याज की धनराशि राजकोष में लौटानी होगी आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश सरकार प्रत्येक वित्तीय वर्ष में नियोजन विभाग में नामित कार्यदायी संस्थाओं से हजारों करोड़ रुपये के विकास कार्य करा रही है। ये कार्यदायी संस्थाएं विभिन्न विभागों की केंद्र और राज्य पोषित योजनाओं, परियोजनाओं और कार्यक्रमों का संचालन कर रही हैं। इनको जो विभिन्न योजनाओं के तहत जो धनराशि जारी होती है, उसका उपयोग होने में देरी होने पर यह बैंक में जमा कर दी जाती है। जब तक धनराशि बैंक में जमा रहती है, तब तक उस पर ब्याज बनता है। वित्त विभाग के मुताबिक, कार्यदायी संस्थाओं को कायदे से ब्याज की धनराशि राजकोष में लौटानी चाहिए। ऐसा न करने से राज्य सरकार को करोड़ों रुपये की वित्तीय हानि हो रही है।
चालू खाते में नहीं रखी जाएंगी परियोजनाओं की धनराशि
अपर मुख्य सचिव ने कार्यदायी संस्थाओं को निर्देश दिए कि वे प्रत्येक परियोजना से संबंधित राशि को किसी भी बैंक में बचत खाते में रहेगी। किसी भी दशा में यह धनराशि चालू खाते में नहीं रखी जाएगी। 31 दिसंबर तक अर्जित ब्याज को प्रत्येक कैलेंडर वर्ष की समाप्ति पर राजकोष की ब्याज व्यवस्था के अनुरूप आईएफएमएस पोर्टल पर यूकोष लिंक के माध्यम से अवश्य जमा कराना होगा। अर्जित ब्याज को चैक के माध्य से जमा कराने की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।
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