सुप्रीम कोर्ट कथित दिल्ली शराब नीति घोटाले के सिलसिले में केंद्र शासित प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट को छह से आठ महीने में सुनवाई पूरी करने के निर्देश दिए।
इससे पहले, 17 अक्तूबर को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भाटी की पीठ ने सीबीआई और ईडी की ओर से पेश उनके वकील अभिषेक सिंघवी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू को सुनने के बाद सिसोदिया की दो अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा था। बता दें कि सिसोदिया को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों द्वारा जांच की जा रही उत्पाद नीति मामलों में गिरफ्तार किया गया था।
इसके पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जांच एजेंसियों (ईडी और सीबीआई) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने अदालत को बताया था कि मुकदमा 9 से 12 महीने के भीतर समाप्त हो सकता है। मामले में 294 गवाह और हजारों दस्तावेज पेश किए गए हैं।
26 फरवरी को गिरफ्तारी, कैबिनेट से इस्तीफा
बता दें कि सिसोदिया को 26 फरवरी को ‘घोटाले’ में उनकी कथित भूमिका के लिए सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। तब से वह हिरासत में हैं। ईडी ने तिहाड़ जेल में उनसे पूछताछ के बाद 9 मार्च को सीबीआई की एफआईआर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने 28 फरवरी को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। गौरतलब है कि इस मामले में विपक्षी दल भाजपा और दिल्ली में सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी के बीच जमकर सियासी बयानबाजी भी होती है।
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