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स्तन कैंसर के इलाज में ज्यादा देरी होने से हो रही है महिलाओं की अधिक मौतें

महिलाएं स्तन कैंसर से अधिक पीड़ित होती हैं। देश में इस बीमारी से पीड़ित 71 प्रतिशत महिलाओं की बीमारी एडवांस स्टेज में होती है। जांच के बाद भी इलाज मिलने में औसतन 130 दिन समय लगता है। जांच और इलाज में इस देरी के कारण स्तन कैंसर से पीड़ित महिला मरीजों की पांच वर्ष जीवित रहने की दर श्रीलंका भूटान मलेशिया व इंडोनेशिया जैसे देशों से भी कम है।

महिलाएं स्तन कैंसर से अधिक पीड़ित होती हैं। देश में इस बीमारी से पीड़ित 71 प्रतिशत महिलाओं की बीमारी एडवांस स्टेज में होती है। जांच के बाद भी इलाज मिलने में औसतन 130 दिन (सवा चार माह) समय लगता है।

जांच और इलाज में इस देरी के कारण भारत में स्तन कैंसर से पीड़ित महिला मरीजों की पांच वर्ष जीवित रहने की दर श्रीलंका, भूटान, मलेशिया व इंडोनेशिया जैसे देशों से भी कम है। अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल लांसेट में प्रकाशित एक अध्ययन से यह बात सामने आई है। इस अध्ययन में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) व कई एशियाई देशों के डाक्टर शामिल हैं।

इस अध्ययन में शामिल एम्स के कैंसर सेंटर के रेडिएशन आंकालोजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॅा.अभिषेक शंकर ने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने स्तन कैंसर के कारण होने वाली मौतों को कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर पहल की है। इसके तहत वैश्विक स्तन कैंसर पहल (जीबीसीआइ) जारी की थी।

इसके तहत बीमारी की जल्दी पहचान, समय पर उसकी जांच और फिर उसके समग्र इलाज को शामिल किया गया था। इसके मद्देनजर एशियन नेशनल कैंसर सेंटर एलायंस (एएनसीसीए) के 21 सदस्यों ने एशियाई देशों में स्तन कैंसर के बोझ और उसके रोकथाम के लिए किए जा उपायों का अध्ययन किया।

इस अध्ययन में संबंधित देशों के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री की रिपोर्ट और उसके डाटा इस्तेमाल किए गए। इस अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में सिर्फ 29 प्रतिशत स्तन कैंसर की मरीजों की पहचान पहले और दूसरे चरण में हो पाती है। शेष 71 प्रतिशत मरीज की बीमारी की पहचान तीसरे और चौथे चरण में होती है। इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की पांच वर्ष जीवित रहने की दर 51 प्रतिशत है। जबकि जापान में यह दर 92.3 प्रतिशत और चीन में 82 प्रतिशत है। श्रीलंका में यह दर करीब 71 प्रतिशत है।

सर्विकल कैंसर को खत्म करने में भारत निभा सकता है अहम भूमिका
नई ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) वैक्सीन सर्वावैक की कम कीमत और उच्च निर्माण क्षमता की सुविधा भारत को वैश्विक स्तर पर सर्विकल कैंसर को खत्म करने के लिए इसकी आपूर्ति में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करता है। हार्वर्ड टीएच चान स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ से संबंधित डा मृणालिनी दर्सवाल ने कहा कि भारत के पास सुरक्षित एचपीवी वैक्सीन मौजूद है। यह सर्विकल कैंसर को रोकने और जीवन को बचाने में महत्वपूर्ण हथियार है।

सर्विकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा (गर्भाशय के निचले हिस्से) में विकसित होता है। उन्होंने कहा कि पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया द्वारा विकसित व निर्मित वैक्सीन 2024 में भारत के राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल की जाएगी।