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रिया चक्रवर्ती ने सुनाई जेल की दर्दनाक दास्तान

दिवंगत एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की गर्लफ्रेंड रहीं एक्ट्रेस रिया चक्रवर्ती (Rhea Chakraborty) के लिए साल 2020 काफी परेशानियों से भरा रहा। एक्ट्रेस को सुशांत सिंह राजपूत के निधन के आरोप में जेल जाना पड़ा था।

एक्टर के परिवार वालों ने उन पर कई आरोप लगाए थे, जिसकी वजह से कुछ महीने तक अभिनेत्री को जेल में रहना पड़ा था। जहां वह एक भयानक दौर से गुजरी थी, जिसका जिक्र कुछ वक्त पहले भी अदाकारा ने किया था। वहीं अब एक बार फिर रिया ने अपने पुराने दिनों को याद किया और इस पर खुलकर बातचीत की।

सुशांत के परिवार ने लगाए थे आरोप
आज से चार साल पहले जून 2020 में सुशांत सिंह राजपूत अपने मुंबई वाले घर पर मृत पाए गए थे। इस मामले में रिया चक्रवर्ती को जेल जाना पड़ा था, जहां उन्होंने करीब छह हफ्ते बिताए थे। अब एक्ट्रेस ने चेतन भगत के चैट शो, डीप टॉक विद चेतन भगत पर इस बारे में बातचीत की। एक्ट्रेस ने बताया, “कोविड नियमों के कारण मुझे 14 दिनों के लिए अकेला रखा गया था। मुझसे पूछा गया कि क्या मैं लंच करूंगी। मैं इतनी भूखी और थकी हुई थी कि मुझे जो भी दिया गया, मैंने खा लिया।’

रिया ने बताया कैसा था जेल का खाना और पानी
जब एक्ट्रेस पूछा की जेल के खाने में क्या था तो उन्होंने बताया कि, ‘रोटी और शिमला मिर्च की सब्जी थी। शिमला मिर्च में पानी तैर रहा था। हालांकि तब मुझे इससे फर्क नहीं पड़ा। आगे एक्ट्रेस ने बताया कि घर से 5 हजार रुपये का मनी ऑर्डर मिलता था और आपको उसी में मैनेज करना होता है। मैनें उन पैसों से जेल में पानी खरीदा था, जो जेल के नल वाले पानी से अच्छा होता है। मेरे 2500 रुपये उसी में चले जाते थे।’

सुबह 6 बजे मिलता था नाश्ता
आपको सुबह 6 बजे नाश्ता, 11 बजे दोपहर का भोजन और दोपहर 2 बजे रात का खाना मिलता है, क्योंकि यह ब्रिटिश तरीके से चलता है। वे सुबह 6 बजे गेट खोलते हैं और शाम 5 बजे आपको अंदर बंद कर देते हैं। तब तक आप स्नान कर सकते हैं, लाइब्रेरी जा सकते हैं, आदि। ज्यादातर लोग अपना रात का खाना बचाकर रखते हैं और शाम 7-8 बजे खाते हैं।

एक्ट्रेस ने बताया जेल के टॉयलेट की सुविधा

इस इंटरव्यू में जब एक्ट्रेस ने जेल के टॉयलेट की सुविधा के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि, “जेल में रहने के बारे में सबसे कठिन हिस्सों में से एक है। जहां पर आप सोते हो, उसके बगल में ही होता है। मेंटल ट्रॉमा इतना कठिन होता है कि फिजिकल ट्रॉमा भी उसके सामने फीका पड़ने लगता है। तब सोचते हैं कि ‘गंदा बाथरूम तो मैनेज कर लूंगी’।’