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पीएलआई स्कीम से बदलने लगी मैन्यूफैक्चरिंग की तस्वीर, 6.78 लाख लोगों को मिला रोजगार

मैन्यूफैक्चरिंग व निर्यात प्रोत्साहन के उद्देश्य से वर्ष 2020 में आरंभ की गई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम से मैन्यूफैक्चरिंग की तस्वीर बदलने लगी है। वर्ष 2020 से लेकर वर्ष 2023 तक 14 सेक्टर के लिए पीएलआई स्कीम की घोषणा की जा चुकी है। इनमें से मुख्य रूप से छह सेक्टर में उत्पादन व निर्यात शुरू हुआ है। तीन-चार सेक्टर में इस स्कीम के तहत उत्पादन काफी शुरुआती स्तर पर है, इसके बावजूद पीएलआई स्कीम के तहत अब तक 1.03 लाख करोड़ का निवेश हो चुका है।

मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू
उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के मुताबिक, पीएलआई स्कीम के तहत अब तक एक हजार मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट स्थापित हो चुकी हैं। 8.61 लाख करोड़ के मूल्य का उत्पादन हो चुका है और 3.20 लाख करोड़ का निर्यात किया जा चुका है। इन यूनिट की स्थापना से 6.78 लाख लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार भी मिल चुके हैं। डीपीआईआईटी के मुताबिक, अभी मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, फूड प्रोसेसिंग, टेलीकॉम व नेटवर्किंग प्रोडक्ट्स, व्हाइट गुड्स (एसी, एलईडी), ऑटोमोबाइल व ऑटो कंपोनेंट्स जैसे छह सेक्टर में उत्पादन व निर्यात शुरू हुआ है। आईटी हार्डवेयर सेक्टर में 40 से अधिक कंपनियां आ चुकी हैं और इस साल से बड़े पैमाने पर इस सेक्टर में उत्पादन शुरू हो सकता है। सोलर पीवी मोड्यूल्स, विशेष स्टील, एसीसी बैट्री, टेक्सटाइल जैसे सेक्टर में अभी उत्पादन शुरू होने की प्रक्रिया चल रही है। ड्रोन सेक्टर में कई कंपनियां पीएलआई स्कीम के तहत आगे आई हैं।

क्या आया है बदलाव
इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर के अंतर्गत मोबाइल फोन के उत्पादन में पिछले तीन सालों में 125 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। मोबाइल फोन का निर्यात चार गुना बढ़ा है। पीएलआई आने के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में 254 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। एप्पल से लेकर सैमसंग, विस्ट्रान, पेगाट्रान व फाक्सकान जैसी विश्व स्तरीय कंपनी भारत में उत्पादन कर रही है।पीएलआई स्कीम के बाद फार्मा सेक्टर में कई बल्क ड्रग भारत में बनने लगे और पेनसिलिन-जी का उत्पादन अब भारत में होने लगा है। पेनसिलिन के लिए भारत पूरी तरह से आयात पर निर्भर था।

घरेलू स्तर पर उपकरणों का उत्पादन शुरू
39 प्रकार के मेडिकल उपकरण का उत्पादन शुरू हो गया। इनमें मुख्य रूप से सीटी स्कैन, कोबाल्ट मशीन, एमआरआई, कैथ लैब, डायलिसिस मशीन, हार्ट वाल्व स्टेंट शामिल हैं। मेडिकल उपकरण बनाने के लिए भारत में सिमंस हेल्थकेयर, जीई हेल्थकेयर, विप्रो, फिलिप्स, ओमरोन हेल्थकेयर जैसी कंपनियां आ चुकी हैं। बल्क ड्रग के लिए सन फार्मा, बायोकान, सिप्ला, ल्यूपिन, डॉ. रेड्डी, टोरेंट फार्मा जैसी कंपनियों ने निवेश किया है।टेलीकॉम सेक्टर में पीएलआई स्कीम के बाद 60 प्रतिशत वैसे उपकरणों का उत्पादन घरेलू स्तर पर शुरू हो गया जिन्हें पहले आयात किया जाता था।

भारतीय ब्रांड अब दुनिया में दिखने लगा
टेलीकॉम नेटवर्किंग उत्पाद के उत्पादन में पीएलआई स्कीम की मदद से पिछले तीन सालों में 370 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में पीएलआई स्कीम के बाद अब तक 64,000 करोड़ के प्रोसेस्ड फूड का निर्यात हुआ है और 2.38 लाख लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिले हैं। ऑर्गेनिक उत्पादों का निर्यात बढ़ा है और भारतीय ब्रांड अब दुनिया में दिखने लगा है।

इंसेंटिव देने के लिए करोड़ रुपए का आवंटन
पीएलआई स्कीम के तहत कंपनियों को पांच-छह साल में इंसेंटिव देने के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। लेकिन पिछले साल नवंबर तक इंसेंटिव के मद में सिर्फ 4,415 करोड़ रुपए कंपनियों को दिए गए हैं। डीपीआईआईटी के अतिरिक्त सचिव आर.एस. ठाकुर ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में पीएलआई के मद में 11,000 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है और उम्मीद है कि पूरी राशि वितरित हो जाएगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि सभी 14 सेक्टर द्वारा उत्पादन शुरू करने पर अगले पांच साल में 1.97 लाख करोड़ रुपए का वितरण हो जाएगा।