पूर्वोत्तर रेलवे के 650 क्राॅसिंग पर स्लाइडिंग बूम व सिग्नल लगाए जाएंगे। इन क्राॅसिंग की इंटरलाकिंग कराई जा रही है। स्लाइडिंग बूम लग जाने पर अगर किसी कारणवश क्राॅसिंग पर लगी पाइप टूटती या क्षतिग्रस्त होती है, वहां जंजीर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। स्लाइडिंग बूम से भी गेट लॉक हो जाएगा और सिग्नल ऑन हो जाएगा। अंतरिम बजट में इसके लिए करीब 10 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं।
अभी केवल शहर के नजदीक वाले क्राॅसिंग ही इंटरलॉक हैं। इसके अलावा अन्य क्राॅसिंग पर जरूरत के अनुसार सिग्नल लगाए जाते हैं। इसके लिए उस क्राॅसिंग पर गुजरने वाले वाहनों की संख्या को आधार बनाया जाता है। 50 हजार वाहन प्रतिदिन की क्राॅसिंग वाले गेट अब इंटरलॉक कर वहां सिग्नल लगाए जा चुके हैं। इसके बाद 20 से 50 हजार के बीच वाहन क्राॅसिंग वाले गेट की इंटरलाकिंग की जा रही है। साथ ही इन क्राॅसिंग पर स्लाइडिंग बूम भी लगाए जाएंगे। इसके अलावा सिग्नल सिस्टम के लिए 24 घंटे बिजली आपूर्ति की भी व्यवस्था होगी।
अभी लगानी होती है झंडी
जिन क्राॅसिंग पर अभी सिग्नल नहीं है, वहां अगर वहां ट्रैक पर कोई दिक्कत है या क्राॅसिंग बंद नहीं हो पा रहा है तो गेट मैन लाइन के बीच में लाल रंग की झंडी लगा देता है, जिससे कि उस रूट पर आ रही ट्रेन के चालक को आगे के खतरे से आगाह किया जा सके। इस समस्या से निपटने के लिए ही ऐसे क्रासिंग पर भी सिग्नल व स्लाइडिंग बूम लगाने की शुरूआत हो रही है। सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह बताते हैं कि स्लाइडिंग बूम लोहे की पतली पाइप होती है, जिसे गेट के समानांतर लगाकर रखा जाता है।
अगर गेट पर लगा बैरियर किसी कारणवश क्षतिग्रस्त है या बंद नहीं हो रहा है तो पाइप में रखे स्लाइडिंग बूम को एक तरफ से दूसरे तरफ तक खींचकर सिग्नल वाले पिलर में फंसा दिया जाता है, जिससे कि सिग्नल लॉक हो जाता है।
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