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शासन से आया आदेश: आगरा कॉलेज के प्राचार्य किए गए निलंबित

उत्तर प्रदेश के आगरा में शासन के आदेश पर आगरा कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अनुराग शुक्ल को अनियमितताओं के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। कॉलेज की प्रबंध समिति की अध्यक्ष मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी ने उन्हें निलंबन पत्र दिया। उनकी जगह अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. चित्र कुमार (सीके) गौतम को प्राचार्य का प्रभार दिया गया है।

वहीं, प्रो. अनुराग शुक्ल ने अपने निलंबन को नियम विरुद्ध बताया है। आरोप लगाया कि उच्च शिक्षामंत्री की ओर से बताए गए नियुक्ति, प्रवेश आदि कार्यों को न कर पाने की वजह से नाराजगीवश उन्होंने पांच शिकायती पत्रों पर जांच के आदेश दिए। वहीं, उच्च शिक्षा मंत्री ने प्रो. अनुराग शुक्ल के आरोपों को नकारा है।

संयुक्त सचिव शासन प्रेम कुमार पांडेय के पत्र के आधार पर मंडलायुक्त व आगरा कॉलेज की प्रबंध समिति की अध्यक्ष रितु माहेश्वरी ने प्रो. अनुराग शुक्ल को निलंबित कर दिया है। 31 मई 2023 को प्रो. शुक्ला के खिलाफ शासन में हुई शिकायतों की चार सदस्यीय समिति से जांच कराई गई। जांच समिति व प्राचार्य की आख्या के आधार पर पाया गया कि सात प्रबंधकीय निधियों के संचालन में भी बर्सर के हस्ताक्षर कराया जाना, वित्तीय नियमों का उल्लंघन है।

जेम पोर्टल पर कॉलेज में पंजीकरण कराने में देरी प्राचार्य की लापरवाही को दर्शाती है। यूजीसी के के नियमानुसार कॉलेज के प्राचार्य पद की न्यूनतम अर्हता में शोधपत्र के प्रकाशन व शोध निर्देशन के प्रमाण के साथ पीएचडी डिग्री अंकित है। शोध निर्देशन करने, प्रोजेक्ट या शोधपत्र लेखन आदि का अनुभव शामिल है।

प्रो. अनुराग शुक्ल पूर्व में जिस कॉलेज में कार्यरत थे, वहां उनकी ओर से पढ़ाए जाने वाले विषय मे संस्कृत केवल स्नातक स्तर तक संचालित था। इस तरह से प्रो. अनुराग शुक्ल का प्राचार्य पद पर अर्हता संबंधी शोध अनुभव संदिग्ध है। प्राचार्य के खिलाफ कई वित्तीय व प्रशासनिक अनियमितता के आरोप लगाए गए हैं।

मंडलायुक्त रितु माहेश्वरी ने बताया कि सोमवार को शासन से आगरा कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अनुराग शुक्ल के निलंबन के संबंध में पत्र प्राप्त हुआ, मंगलवार को उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया है, प्राचार्य का प्रभार डॉ. सीके गौतम को दिया गया है। निलंबन अवधि में प्रो. अनुराग शुक्ल अध्यक्ष, प्रबंध समिति अगरा कॉलेज के कार्यालय से संबद्ध रहेंगे।

आरोप निराधार, भ्रष्टाचार की शिकायत पर कार्रवाई
प्रो. अनुराग शुक्ला की ओर से लगाए गए आरोप निराधार हैं। जनप्रतिनिधि होने के नाते प्रवेश की सिफारिशें जरूर कीं पर नियुक्ति की कोई सिफारिश नहीं की गई है। कॉलेज में कोई नियुक्ति हुई भी नहीं है। भ्रष्टाचार की शिकायत पर प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई की गई है। दो बार जांच समिति कॉलेज पहुंची, प्राचार्य की ओर से प्रपत्र नहीं दिए गए। – योगेंद्र उपाध्याय, उच्च शिक्षामंत्री

कॉलेज में कई अनियमितताएं हुई हैं: डॉ. सीके गौतम
कार्यभार ग्रहण करने के बाद डॉ. सीके गौतम ने कहा कि उनकी प्राथमिकता विश्वविद्यालय की परीक्षाओं को शुचितापूर्ण तरीके से संपन्न कराना है। कॉलेज के उन्नयन के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। उनका कहना है कि कॉलेज में कई अनियमितताएं हुई हैं, उन्हें सुधारते हुए कॉलेज के प्रशासनिक व शैक्षणिक वातावरण को बेहतर बनाने का प्रयास किया जाएगा। सभी शिक्षक व कर्मचारियों का सहयोग लेते हुए शैक्षणिक माहौल को सुधारने का प्रयास किया जाएगा। कार्यभार ग्रहण करने पर कॉलेज के स्टाफ ने उनका स्वागत किया।

वरिष्ठता क्रमांक पर 16वें स्थान पर आते हैं डॉ. सीके गौतम
प्रो. अनुराग शुक्ल का आरोप है कि नियम विरुद्ध तरीके से डॉ. सीके गौतम को आगरा कॉलेज के प्राचार्य का प्रभार दिया गया है। वह वरिष्ठता क्रमांक में 16वें स्थान पर आते हैं। यह भी आरोप लगाया है कि उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग की ओर से डॉ. सीके गौतम अनर्ह घोषित हैं। डॉ. सीके गौतम की जांच जिलाधिकारी की ओर से की जा रही है प्रबंध समिति की ओर से उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है। उनके खिलाफ न्यू आगरा थाने में आपराधिक मुकदमा दर्ज है।

प्रो. अनुराग शुक्ल के मंत्री पर आरोप
प्रो. अनुराग शुक्ल का आरोप है कि उच्च शिक्षामंत्री ने जिन पांच शिकायती पत्रों पर जांच के आदेश दिए थे, उनकी जांच तत्कालीन उच्च शिक्षा अधिकारी से करई गई, उसमें कोई आरोप प्रमाणित नहीं हुए। अपने अनुसार मनमाफिक जांच प्राप्त करने के लिए उच्च शिक्षा मंत्री के आदेश के बाद कांशीराम राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य ने दोबारा जांच की। इसमें भी सभी आरोप समाप्त कर दिए गए।
तीसरी बार कुछ अध्यापकों से 25 मई 2023 के 20 जून 2023 तक कॉलेज में आंदोलन कराकर प्राचार्य को हटाने का प्रयास किया गया। इसके बाद मंत्री ने फिर जांच समिति बनाकर फिर से जांच कराई, प्राचार्य की ओर से दिए गए चार पत्रों को जांच से निकलवाकर उनके स्टेटमेंट को बदलवाकर जांच दोषारोपित करने का प्रयास किया गया। इसके बार आयुक्त ने अपर आयुक्त से जांच कराई, उसमें भी क्लिन चिट मिल गई, जिसकी आख्या शासन को भेजी गई थी। चौथी जांच को दरकिनार करके नियम विरुद्ध निलंबन के आदेश दिए गए हैं।