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काशीवासियों के लिए विश्वनाथ धाम में प्रवेश को होगा अलग द्वार

श्री काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश के लिए काशीवासियों के लिए अलग द्वार होगा। स्थानीय श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास इस पर विचार कर रहा है। उच्च स्तरीय सुरक्षा समिति की अगली बैठक में इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के बाद इसे लागू किया जाएगा। धाम का निर्माण होने के बाद सामान्य दिनों में बाबा के मंदिर में दो से ढाई लाख श्रद्धालुओं की भीड़ हो रही है।

बाबा विश्वनाथ के मंदिर में भीड़ के कारण स्थानीय श्रद्धालुओं ने दर्शन पूजन से किनारा कर लिया था। लंबे समय से स्थानीय लोग और राजनीतिक दलों की ओर से काशीवासियों के लिए धाम में अलग से प्रवेश द्वार निर्धारित करने की मांग की जा रही थी। मंदिर न्यास ने चुनाव के बाद इस नई व्यवस्था को लागू करने का आश्वासन दिया था।

मंदिर न्यास की ओर से बताया गया है कि अब आचार संहिता खत्म होने के बाद उच्च स्तरीय सुरक्षा समिति की बैठक शीघ्र होगी। उससे अनुमोदन प्राप्त करके यह नई व्यवस्था शीघ्र ही लागू की जाएगी। बैठक में ट्रस्ट, पुलिस, पीएसी, सीआरपीएफ के अधिकारी होते हैं और सामूहिक व्यावहारिक निर्णय लेते हैं।

वर्तमान में की गई व्यवस्था समस्त स्थितियों को ध्यान में रखकर प्रतिदिन आने वाली विशाल दर्शनार्थियों की संख्या के दृष्टिगत क्राउड मैनेजमेंट एवं आपदा प्रबंधन के लिए बनी है। श्रद्धालुओं और परिसर की सुरक्षा के लिए इसे लागू किया गया है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास और पुलिस इस व्यवस्था में सुधार के लिए निरंतर प्रयासरत है।

रोजाना चार हजार नेमी करते हैं बाबा विश्वनाथ के दर्शन
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन और प्रवेश के लिए व्यवस्था पूरी तरह से निशुल्क है। कुछ लोगों द्वारा अफवाह फैलाई जा रही है कि प्रवेश एवं दर्शन के लिए मंदिर में शुल्क देना पड़ता है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि सुगम दर्शन और प्रोटोकॉल दर्शन के लिए ही तीन सौ रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया है।

आम श्रद्धालु जो कतारबद्ध होकर दर्शन पूजन करते हैं उनसे कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। नियमित दर्शन करने वाले स्थानीय निवासी सामान्यत: कतार में लगकर प्रतिदिन निशुल्क दर्शन करते हैं। यदि अलग से दर्शन करना चाहते हैं तो एक वार्षिक दैनिक दर्शनार्थी नियमित पास की व्यवस्था की गई है जो लगभग चार हजार लोगों ने ले रखी है।