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यूपी: एक जुलाई से बदल जाएंगी दुष्कर्म, हत्या और डकैती की धाराएं

यूपी के आगरा कमिश्नरेट में सभी आरक्षी व मुख्य आरक्षियों को कार्यशाला में संयुक्त निदेशक अभियोजन विनोद कुमार मिश्रा, एसपीओ बृजमोहन सिंह और पीओ राजेश कुमार, रितेश कुमार ने प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि आईपीसी में 23 अध्याय और 511 धाराएं थीं। बीएनएस में 20 अध्याय और 358 धाराएं हैं। इसमें 33 धाराओं में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है। 83 अपराधों में जुर्माना राशि बढ़ाई है। 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं।

उन्होंने बताया कि आईपीसी की धारा 323 अब 115(2) कहलाएगी। तेजाब हमला 326 ए की जगह 124(1) और दुष्कर्म की धारा 376 की जगह धारा 64 होगी। हत्या की धारा 302 की जगह धारा 103, चोरी की धारा 378 की जगह 303(1) होगी। डकैती की धारा 395 की जगह अब धारा 310(2) में केस दर्ज होंगे। धोखाधड़ी की धारा 420 की जगह 318 (4) अमल में आएगी।

सात साल से अधिक सजा के अपराध में फोरेंसिक जांच अनिवार्य
सीआरपीसी की जगह बीएनएसएस को लागू किया जा रहा है। सीआरपीसी में 37 अध्याय और 484 धाराएं थीं। बीएनएसएस में 39 अध्याय और 531 धाराएं होंगी। धारा 154 के तहत एफआईआर अब धारा 173 में होगी। जीरो एफआईआर और इलेक्ट्रोनिक माध्यम से भी एफआईआर कराई जा सकेगी।

सात साल से अधिक उम्र के अपराध में फोरेंसिक जांच जरूरी होगी। गंभीर मामलों की विवेचना एसीपी व डीएसपी से कराई जा सकेगी। पोक्सो की विवेचना 2 महीने में पूर्ण करनी होगी। 3 साल से कम सजा वाले अपराध में गिरफ्तारी के लिए एसीपी से अनुमति लेनी होगी।

फोटो, वीडियो, मैसेज बनेंगे अहम साक्ष्य
इंडियन एविडेंस एक्ट (आईईए)1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) 2023 लागू होगा। आईईए में 11 अध्याय व 167 धाराएं थीं। बीएसए में 12 अध्याय व 170 धाराएं हैं। मृत्यु पूर्व बयान की धारा 32 को अब धारा 26 के नाम से जाना जाएगा। बीएसए में फोटो, वीडियो, मैसेज भी अहम साक्ष्य बनेंगे। साथ ही, डॉक्टर, पुलिस व अन्य गवाहों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से गवाही हो सकेगी। नए कानून में दंड की जगह न्याय पर जोर दिया गया है।