खेलो इंडिया राइजिंग टैलेंट आइडेंटिफिकेशन (कीर्ति) प्रोग्राम के जरिए दिल्ली में खिलाड़ियों की नर्सरी तैयार होगी। भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) इसके लिए दिल्ली नगर निगम के प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले 24000 बच्चों का मूल्यांकन करेगा।
भारत को 2036 तक दुनिया के शीर्ष 10 खेल राष्ट्रों में से एक और 2047 तक शीर्ष पांच में शामिल कराने के उद्देश्य से केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय की ओर से देश भर में शुरू किए इस प्रोग्राम में दिल्ली में सबसे पहले एमसीडी ने साई के साथ हाथ मिलाया है। साई की इस स्कीम के साथ दिल्ली नगर निगम के हरेक जोन से दो-दो हजार बच्चे शामिल होंगे।
कुल 12 जोनों से 24000 बच्चों का साई मूल्यांकन करेगा कि कौन सा बच्चा किस खेल में कामयाब हो सकता है। कुल पांच खेलों में बच्चों का मूल्यांकन होगा। इनमें एथलेटिक्स, फुटबॉल, खो-खो, कबड्डी और वॉलीबॉल शामिल है। इसके लिए आठ जुलाई से तीन अगस्त तक जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में कार्यक्रम चलेगा। यहां हरेक जोन को दो-दो दिन दिए जाएंगे। इस मौके पर विभिन्न प्रकार से बच्चों का शारीरिक परीक्षण (फिजिकल टेस्ट) किया जाएगा।
मूल्यांकन के बाद निगम बनाएगा टीम साई की ओर बच्चों का मूल्यांकन करने के बाद निगम इनकी टीम बनाएगी। चयनित खिलाड़ियों को अक्तूबर में होने वाले जोनल, इंटर जोनल गेम्स में इन बच्चों को खेलने का मौका मिलेगा।
इन अधिकारियों ने तैयार की है रूपरेखा
आकांक्षा शर्मा, निदेशक, शिक्षा, एमसीडी। मंजू खत्री, उपनिदेशक (शिक्षा), एमसीडी। डॉ सुरेन्द्र भदौरिया, उपनिदेशक (शिक्षा), एमसीडी। शशि कुमार, विद्यालय निरीक्षक (खेल), एमसीडी।
क्या है कीर्ति प्रोग्राम
केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय ने देशभर के नौ से 18 साल उम्र तक के स्कूली बच्चों में प्रतिभा की खोज के उद्देश्य से कीर्ति प्रोग्राम शुरू किया है। इस राष्ट्रव्यापी योजना के दो मुख्य उद्देश्य हैं। पहला देश के हर कोने से खेल प्रतिभाओं की खोज करना और खेलों के उपयोग से नशे और अन्य गैजेट की लत को रोकना। कीर्ति प्रोग्राम के जरिए पूरे देश में 20 लाख स्पोर्ट्स टैलेंट का मूल्यांकन होना है।
बेस्ट टैलेंट निकालने की मुहिम
एमसीडी ने एक तरह से अपने स्कूल के बच्चों के बीच से बेस्ट स्पोर्ट्स टैलेंट निकालने की मुहिम शुरू की है। निगम के शिक्षा विभाग के मुताबिक इनके करीब 1535 से ज्यादा स्कूलों में पढ़ने वाले शारीरिक रूप से शरीर हृष्ट पुष्ट बच्चों को इस मूल्यांकन कार्यक्रम में ले जाया जा रहा है। इसमें जिन बच्चों का प्रदर्शन बेहतर होगा, इन्हें जोनल गेम्स में खेलने का मौका दिया जाएगा।
ओलंपिक मेडल पर सरकार की निगाह
भारत का इरादा 2030 में युवा ओलंपिक और 2036 में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की मेजबानी करने का है। इस वजह से सरकार का ध्यान ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन को सुधारने पर है। एक एथलीट को ओलंपिक पदक जीतने के लिए कम से कम 10 साल की तैयारी की आवश्यकता होती है। कीर्ति स्कीम के जरिए देश के हर ब्लॉक तक पहुंचने की तैयारी है। इससे वे बच्चे जुड़ेंगे जो कोई खेल खेलना चाहते हैं, लेकिन उन्हें नहीं पता कि कैसे खेलना है।
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