बिहार विधानसभा में बुधवार को ‘बिहार लिफ्ट और एस्केलेटर विधेयक, 2024′ ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इसके साथ ही राज्य में लिफ्ट और एस्केलेटर का पंजीकरण अनिवार्य हो गया है। बिहार के ऊर्जा विभाग के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव की ओर से यह विधेयक विधानसभा में पेश किया गया। हालांकि, विपक्ष ने राज्य के संशोधित आरक्षण कानूनों को संविधान की नौवीं अनुसूची में डालने की मांग करते हुए बहिर्गमन किया।
मंत्री ने सदन में कहा, ‘‘बिहार लिफ्ट और एस्केलेटर विधेयक, 2024 के पारित होने के साथ अब बहुमंजिला इमारतों, वाणिज्यिक परिसरों, अस्पतालों, कार्यालयों और होटलों में लिफ्ट और एस्केलेटर का अनियमित उपयोग संभव नहीं होगा… इसे गैरकानूनी माना जाएगा।” उन्होंने कहा कि अब राज्य में लिफ्ट और एस्केलेटर लगाने के लिए पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा। मंत्री ने कहा, ‘‘हाल के वर्षों में बहुमंजिला आवासीय इमारतों, व्यावसायिक इमारतों और होटलों का निर्माण तेजी से बढ़ा है। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षा की दृष्टि से इन मशीनों और उपकरणों के उचित संचालन को विनियमित करना जरूरी है।” विधेयक के अनुसार, एस्केलेटर या लिफ्ट की मियाद केवल बीस वर्ष होगा।
विधेयक के मुताबिक, ‘‘ऊर्जा विभाग की मंजूरी के बिना लिफ्ट और एस्केलेटर नहीं लगाए जा सकेंगे। यदि मालिक या संबंधित संस्थान मरम्मत कराने में विफल रहते हैं और मानकों की अनदेखी करते हैं तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा। हर तीन साल के बाद लिफ्ट और एस्केलेटर का अनिवार्य निरीक्षण भी आवश्यक है।” विधेयक में कहा गया है कि लिफ्ट दुर्घटनाओं के मामले में पीड़ितों को तीसरे पक्ष के बीमा प्रावधान के जरिए बीमा और मुआवजा प्रदान किया जाएगा।
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