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रेल हादसों से मिलेगी निजात: रेलगाड़ियों को मिला ‘कवच’

दिल्ली रेल मंडल की करीब 65 ट्रेनों को रेलवे की सुरक्षा प्रणाली ‘’कवच’’ से लैस कर दिया गया है। स्वदेशी तकनीक पर विकसित इस प्रणाली से एक ही ट्रैक पर चल रही ट्रेनें नजदीक आने पर अपने-आप रुक जाएंगी। टक्कर न होने से यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। वहीं, रेल गाड़ियों की रफ्तार भी बढ़ेगी।

रेल अधिकारियों का कहना है कि अभी इसे दिल्ली रेल मंडल में शुरू किया गया है। 85 इंजन पर कवच लगाने का काम चल रहा है। साल के आखिर तक इन ट्रेनों को कवच प्रणाली से लैस कर दिया जाएगा। इससे पहले रेलवे बोर्ड के निर्देश पर दिल्ली रेल मंडल ने गाजियाबाद लोको शेड को ट्रेन के इंजन में कवच प्रणाली लगाने का जिम्मा दिया था। वहीं, इस मंडल के दिल्ली-रेवाड़ी रूट पर भी यह उपकरण लगाया जा रहा है। इसके अलावा नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली को भी इसके दायरे में लाया जाना है। सिस्टम में आपसी तालमेल से ट्रेनों की आमने-सामने की टक्कर रोकी जा सकेगी।

नहीं होगी ट्रेनों की टक्कर
इस नई तकनीक से एक ही ट्रैक पर चल रही ट्रेनें नजदीक आने पर अपने-आप रुक जाएंगी। अभी दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा गलियारे में करीब 3000 किलोमीटर पर कवच से संबंधित उपकरण लगाए जा रहे हैं। इसमें रेलवे ने अभी तक 4,275 किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई है। 364 दूरसंचार टावर लगाए गए हैं। करीब 285 स्टेशन को इससे लैस किया गया है। देशभर के 319 रेल इंजनों को इससे लैस किया गया है। दक्षिणी मध्य रेलवे ने 1465 किलोमीटर मार्ग को इस सिस्टम से लैस किया है।

रेलवे कवच 4.0 पर कर रहा काम
रेल हादसों से बचने और कम समय में लंबी दूरी तय करने के लिए रेलवे ‘कवच 4.0’ प्रणाली पर काम कर रहा है। दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकाता के बीच 3,000 किमी पर इस उपकरण को लैस किया जाना है। सबसे पहले दिल्ली रेल मंडल ने इंजन पर कवच लगाने का काम शुरू किया था। साथ में ट्रैक और रेलवे स्टेशनों पर इसे लगाया जाना है। इसमें दिल्ली-रेवाड़ी रूट का काम भी इस साल पूरा कर लिया जाएगा। नई दिल्ली व पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर इसे लगाने की प्रक्रिया चल रही है। तीनों जगहों पर इंस्टॉल होने के बाद कवच प्रणाली काम करना प्रारंभ कर देगी।

इस तरह होगा खर्च
उपकरण लगाने पर करीब 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर का खर्च होगा। वहीं, एक इंजन पर इसे लगाने की कीमत करीब 70 लाख रुपये है। अभी तक रेलवे 1,216.77 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है। 2024-25 के दौरान 1,112.57 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।

नई तकनीक के फायदे

  • कवच स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली (एटीपी) है, जो सुरक्षित ट्रेन संचालन सुनिश्चित करती है।
  • कवच लोको पायलट द्वारा ब्रेक लगाने में विफल होने की स्थिति में स्वचालित रूप से ब्रेक लगाकर ट्रेन को निर्दिष्ट गति सीमा के भीतर चलाने में सहायक है।
  • खराब मौसम के दौरान ट्रेन को सुरक्षित रूप से चलाने में भी मदद करता है।
  • सुरक्षित ट्रेन संचालन जैसे खतरे में सिग्नल पासिंग की रोकथाम करता है।
  • लेवल क्रॉसिंग गेट्स के पास पहुंचने पर ऑटो व्हिसलिंग और ओवर स्पीडिंग की रोकथाम के लिए स्वचालित ब्रेक लगाता है।
  • कवच से लैस दो लोकोमोटिव के बीच टकराव को भी रोकता है।
  • आपातकालीन स्थितियों के दौरान एसओएस संदेश इससे मिल जाएगा।
  • नेटवर्क मॉनिटर सिस्टम के माध्यम से ट्रेन की गतिविधियों की लाइव केंद्रीकृत निगरानी होती है।