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बरेली में दौड़ेगी मेट्रो या लाइट मेट्रो… 15 अक्तूबर तक आएगी रिपोर्ट

बरेली में मेट्रो की संभावनाओं को लेकर बीडीए और राइट्स (रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस) के अधिकारियों ने मंगलवार को मंथन किया। मेट्रो के प्रस्तावित दोनों कॉरिडोर पर वर्ष 2056 तक रोज सात लाख लोगों के आवागमन के अनुमान पर कवायद आगे बढ़ गई। अब 15 अक्तूबर तक इस बात का सर्वेक्षण होगा कि शहर में लाइट मेट्रो संचालित की जाए या भविष्य की जरूरत को देखते हुए मेट्रो चलाई जाए।

अधिकारियों ने बताया कि अगर लाइट मेट्रो का ट्रैक बना तो उसे मेट्रो के लिए परिवर्तित करना संभव नहीं होगा, लेकिन अगर यात्री कम होने पर शुरुआत में सिर्फ दो कोच चलाए जाएं तो बाद में इनकी संख्या बढ़ाई जा सकती है।

जमीन के 30 मीटर नीचे से लिए जाएंगे नमूने
बीडीए उपाध्यक्ष मनिकंडन ए की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में राइट्स के अधिकारियों ने बताया कि सर्वे चल रहा है। प्रस्तावित रूट की मिट्टी के नमूने जमीन के 30 मीटर नीचे से लिए जा रहे हैं। जांच के बाद पता लगेगा कि जमीन कैसी है? मेट्रो के लिए ट्रैक बनाए जाने पर कोई दिक्कत तो नहीं आएगी।
बैठक में ट्रैफिक एंड सिस्टम सेलेक्शन की प्रस्तुति दी गई। अब अल्टरनेटिव एनालिसिस रिपोर्ट बनेगी, ताकि तय हो सके कि मेट्रो चलाई जाए या लाइट मेट्रो। यह रिपोर्ट आने पर बीडीए, नगर निगम, लोक निर्माण विभाग और विद्युत निगम के सामने ब्योरा रखा जाएगा।

इसके बाद डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) दिसंबर तक तैयार की जाएगी। बैठक में शामिल बीडीए के अधिशासी अभियंता एपीएन सिंह ने बताया कि 2022-23 के ट्रैफिक डाटा को लेने के बाद मेट्रो की प्रक्रिया आगे बढ़ी थी। अब इसे अंतिम रूप दिया जाना है।

ये हैं प्रस्तावित
– फन सिटी से चौकी चौराहा होते हुए जंक्शन तक (12 किलोमीटर)
– चौकी चौराहा से जंक्शन तक (9.3 किलोमीटर)

अगले तीस साल की जरूरत को ध्यान में रखकर तैयार कर रहे प्रस्ताव
अगले तीस साल की जरूरत को ध्यान में रखते हुए मेट्रो का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। बीडीए उपाध्यक्ष मनिकंडन ए ने कहा कि अल्टरनेटिव एनालिसिस रिपोर्ट आने के बाद सभी संबंधित विभागों के साथ मंथन किया जएगा।

5000 करोड़ से ज्यादा खर्च होने का अनुमान
मेट्रो परियोजना पर 5000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने का अनुमान है। राइट्स, बीडीए, नगर निगम अन्य तमाम विभागों की मदद से कॉम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान तैयार हो चुका है। मेट्रो परियोजना के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, जमीन अधिग्रहण, ऑपरेशन एवं मेंटिनेंस पर होने वाले खर्च का आकलन किया गया है।