प्रदोष व्रत का दिन अपने आप में शुभ होता है। यह दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन व्रत रखने से सुख-शांति, सफलता और समृद्धि जीवन की प्राप्ति होती है। प्रदोष का मतलब है – अंधकार को दूर करना। इस साल कार्तिक माह का आखिरी प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) 13 नवंबर को मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से साधक के सभी दुखों का अंत होता है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी की शुरुआत 13 नवंबर दोपहर 01 बजकर 01 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 14 नवंबर सुबह 09 बजकर 43 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत बुधवार 13 नवंबर को रखा जाएगा। इस दिन का पूजा मुहूर्त शाम 05 बजकर 49 मिनट से रात 08 बजकर 25 मिनट तक रहेगा।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)
सुबह उठकर पवित्र स्नान करें। भगवान शंकर और माता पार्वती के समक्ष व्रत का संकल्प लें। एक वेदी पर शिव परिवार की प्रतिमा विराजमान करें। गंगाजल से प्रतिमा को स्नान करवाएं और उन्हें अच्छी तरह साफ करें। देसी घी का दीपक जलाएं और कनेर, मदार और आक के फूलों की माला अर्पित करें। शिव जी को सफेद चंदन का त्रिपुंड लगाएं। उन्हें खीर, हलवा, फल, मिठाइयों, ठंडई, लस्सी आदि का भोग लगाएं।प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें, पंचाक्षरी मंत्र और शिव चालीसा का पाठ करें। प्रदोष पूजा शाम के समय ज्यादा शुभ मानी जाती है, इसलिए प्रदोष काल में ही पूजा करें। अगले दिन अपने व्रत का पारण करें। साथ ही तामसिक चीजों से परहेज करें।
प्रदोष व्रत के पूजन मंत्र (Pradosh Vrat Ke Mantra)
पंचाक्षर मंत्र
ॐ नमः शिवाय
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शिव स्तुति मंत्र
द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि।उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।