थाईलैंड के प्रधानमंत्री अनुतिन चर्नवीराकुल को शुक्रवार (12 दिसंबर) को संसद भंग करने के लिए शाही स्वीकृति मिल गई है। इसके साथ ही देश में अगले साल की शुरुआत में आम चुनाव कराए जाने का रास्ता साफ हो गया है। शाही आदेश जारी होने के 45 से 60 दिनों के भीतर प्रतिनिधि सभा के चुनाव कराए जाएंगे। इस दौरान अनुतिन चर्नवीराकुल सीमित अधिकारों के साथ कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहेंगे और नई बजट मंजूर नहीं कर सकेंगे।
सीमा विवाद के बीच राजनीतिक कदम
इससे पहले प्रधानमंत्री अनुतिन चर्नवीराकुल ने गुरुवार देर रात फेसबुक पोस्ट में लिखा कि मैं सत्ता वापस जनता को सौंपना चाहता हूं। पीएम का यह फैसला ऐसे समय आया है जब थाईलैंड कम्बोडिया के साथ वर्षों पुराने सीमा विवाद को लेकर बड़े पैमाने पर संघर्ष में उलझा हुआ है। इस हफ्ते की झड़पों में करीब दो दर्जन लोगों की मौत हो चुकी है और दोनों ओर से लाखों लोग विस्थापित हुए हैं।
3 महीने पहले ही बने थे प्रधानमंत्री
बता दें कि अनुतिन चर्नवीराकुल सिर्फ तीन महीने पहले प्रधानमंत्री बने थे। उन्होंने पैटोंगटार्न शिनावात्रा की जगह ली है, जिन्होंने सिर्फ एक साल तक पद संभाला था। अनुतिन ने सितंबर में संसद में हुए मतदान में जीत हासिल की थी, जिसमें मुख्य विपक्षी पीपल्स पार्टी ने उनका समर्थन इस वादे पर किया था कि वे चार महीने के भीतर संसद भंग करेंगे और एक नई संविधान सभा के लिए जनमत संग्रह कराएंगे।
संविधान संशोधन विवाद बना कारण
संविधान बदलने का मुद्दा इस समय केंद्र में है। अनुतिन की पार्टी भूमजथाई ने संविधान संशोधन के लिए जरूरी व्यवस्था में सीनेट के एक-तिहाई मतों को बरकरार रखने के पक्ष में वोट किया, जिसके बाद पीपल्स पार्टी ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की धमकी दी। यह विवाद संसद भंग होने की मुख्य वजह माना जा रहा है।
पैटोंगटार्न सरकार से अलगाव
अनुतिन पहले पूर्व प्रधानमंत्री पैटोंगटार्न शिनावात्रा की कैबिनेट में मंत्री थे, लेकिन कंबोडिया के साथ सीमा तनाव से जुड़े एक राजनीतिक घोटाले के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी पार्टी को गठबंधन से बाहर कर लिया। पैटोंगटार्न, जो पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा की बेटी हैं, उनको जुलाई में पड़ोसी देश कंबोडिया के सीनेट अध्यक्ष हुन सेन के साथ एक विवादित फोन कॉल के कारण नैतिक आचार उल्लंघन में दोषी पाए जाने के बाद पद से हटा दिया गया था।
अनुतिन ने पैटोंगटार्न की कैबिनेट में काम किया था, लेकिन कंबोडिया के साथ बॉर्डर पर तनाव से जुड़े एक राजनीतिक विवाद के बाद उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया और अपनी पार्टी को उनकी गठबंधन सरकार से वापस ले लिया।
नई सरकार अल्पमत में फंस सकती है
पीपल्स पार्टी ने कहा है कि वह विपक्ष में ही रहेगी, जिससे नई सरकार अल्पमत में फंस सकती है। यह पार्टी लंबे समय से सेना समर्थित पुराने संविधान में बदलाव की मांग करती रही है, ताकि उसे अधिक लोकतांत्रिक बनाया जा सके।
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