गुरु प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और मां गौरी की पूजा करने से व्रती की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही मां पार्वती की कृपा से अन्न और धन संबंधी परेशानी दूर हो जाती है। प्रदोष व्रत के दिन शिव जी की पूजा करने से कुंडली में शुक्र मजबूत होता है। आइए पंडित हर्षित शर्मा जी से आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 27 March 2025) जानते हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी गुरुवार 27 मार्च को चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जा रही है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए व्रत रखा जा रहा है।
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी गुरु प्रदोष व्रत पर साध्य और शुभ योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। आइए, पंडित हर्षित शर्मा जी से जानते हैं। आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त (Today Puja Time) के विषय में।
आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 27 March 2025)
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 17 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 36 मिनट पर
शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 43 मिनट से 05 बजकर 30 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 35 मिनट से 06 बजकर 58 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – देर रात 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक
अशुभ समय
राहुकाल – दोपहर 01 बजकर 59 मिनट से 03 बजकर 31 मिनट तक
गुलिक काल – सुबह 09 बजकर 22 मिनट से 10 बजकर 54 मिनट तक
दिशा शूल – दक्षिण
ताराबल
अश्विनी, कृत्तिका, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद
चन्द्रबल
मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुम्भ
शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो गुरु प्रदोष व्रत पर सुबह 09 बजकर 25 मिनट तक साध्य योग का संयोग बन रहा है। इसके बाद शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही शतभिषा नक्षत्र का भी संयोग है। इन योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से मनचाहा वरदान मिलेगा। साथ ही सभी संकटों का नाश होगा।
इन मंत्रो का करें जप
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।।
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।