कामदा एकादशी का दिन बहुत फलदायी माना जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। कहते हैं कि जो लोग इस मौके पर सच्ची श्रद्धा के साथ व्रत रखते हैं उन्हें सुख और शांति की प्राप्ति होती है। इस साल कामदा एकादशी (Kamada Ekadashi 2025) का व्रत आज यानी 8 अप्रैल को रखा जा रहा है।
आज कामदा एकादशी का पावन दिन है, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इस शुभ तिथि पर उनकी विधिवत पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि कामदा एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पापों का नाश होता है। इस पूजा को और भी अधिक फलदायी बनाने के लिए भगवान विष्णु के साथ मां तुलसी की आरती जरूर करनी चाहिए। तुलसी भगवान विष्णु को बेहद प्रिय हैं और उनकी हर पूजा में तुलसी दल का प्रयोग आवश्यक माना गया है।
कामदा एकादशी (Kamada Ekadashi 2025) के दिन विष्णु जी की आरती के बाद मां तुलसी की आरती करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। साथ ही भगवान विष्णु खुश होते हैं।
।।भगवान विष्णु की आरती।। (Vishu Ji Aarti)
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे…
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे…
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे…
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे…
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे…
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे…
तुलसी जी की आरती (Tulsi Mata ki Aarti)
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।। मैय्या जय तुलसी माता।।
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता। मैय्या जय तुलसी माता।।
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता। मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता। मैय्या जय तुलसी माता।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता। मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता। मैय्या जय तुलसी माता।।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।।