टाइटैनिक जहाज को समुद्र की लहरों में डूबने के 113 साल बाद आखिरकार जहाज के फर्स्ट आफिसर विलियम मर्डोक को शोधकर्ताओं ने क्लीन चिट दे दी है। अबतक ऑफिसर मर्डोक पर अपनी जिम्मेदारी न उठाने का आरोप लगाया जाता था।
टाइटैनिक आज ही के दिन यानी 10 अप्रैल, 1912 को इंग्लैंड के साउथेंप्टन से न्यूयार्क के लिए रवाना हुआ था। 15 अप्रैल को यह अटलांटक महासागर में डूब गया जिससे अनुमानत: 1,517 लोग मारे गए थे।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया था खूनी
टाइटैनिक के कई जीवित प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्होंने एक अधिकारी को लाइफबोट की ओर भाग रहे दो लोगों को गोली मारते हुए देखा था और फिर उसने खुद को भी गोली मार ली थी। कई सालों तक, इस अनाम अधिकारी को अधिकारी मर्डोक माना जाता रहा।
जेम्स कैमरून की फिल्म में भी यही विचार दोहराया गया। हालांकि, चालक दल के एक अन्य सदस्य चार्ल्स लाइटोलर ने इस व्याख्या का खंडन करते हुए कहा था उन्होंने डेकहाउस के ऊपर से मर्डोक को समुद्र में बहते हुए देखा था।
थ्रीडी स्कैन ने उठाया पर्दा
टाइटैनिक के अब तक के सबसे सटीक थ्रीडी स्कैन से इस संदर्भ में चौंकाने वाले साक्ष्य सामने आए हैं। डीप सी स्कैनिंग कंपनी मैगेलन ने अटलांटिक महासागर के 12,500 फीट नीचे टाइटैनिक के मलबे की 7,15,000 तस्वीरें खींची हैं।
एक नई नेशनल जियोग्राफिक डाक्यूमेंट्री में, टाइटैनिक के विश्लेषक पार्क्स स्टीफेंसन ने बताया कि कैसे यह विशाल डिजिटल मॉडल मर्डोक की बेगुनाही साबित करते हैं। थ्रीडी स्कैन से पता चलता है कि अधिकारी मर्डोक अपनी जिम्मेदारी से भागे नहीं थे, बल्कि अंत तक यात्रियों को बचाने में उनकी मृत्यु हो गई थी।
क्रेन से मिले सुबूत
स्कैन से पता चलता है कि जब टाइटैनिक डूब रहा था तब अधिकारी मर्डोक के स्टेशन पर जहाजों पर इस्तेमाल की जाने वाली एक तरह की क्रेन डेविट एक और लाइफबोट लांच करने के लिए तैयार हो रही थी। यह लाइटोलर के बयान की पुष्टि करता है कि मर्डोक, जो अपनी मृत्यु के समय 39 वर्ष के थे, यात्रियों के एक और समूह को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की कोशिश कर रहे थे तभी एक लहर की चपेट में आने से मारे गए थे।