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अपनी जमानत याच‍िका में उमर खाल‍िद ने महात्‍मा गांधी का क‍िया ज‍िक्र

उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किए गए जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद ने कड़कड़डूमा कोर्ट को बताया कि पुलिस के दावों में कई विरोधाभास है और इसे बढ़ाचढ़ा कर पेश किया है. खालिद के वकील ने कोर्ट को बताया कि पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में केवल उमर खालिद को केवल फंसाया गया है.

वकील ने दिल्ली पुलिस के दावों में दो विरोधाभासों की ओर इशारा किया. सबसे पहले उन्होंने अदालत को महाराष्ट्र में खालिद के भाषण की 21 मिनट की वीडियो क्लिप दिखाई, जिसे अभियोजन पक्ष ने कथित तौर पर भड़काऊ करार दिया था. वीडियो दिखाने के क्रम में वकील ने अदालत को अवगत कराया कि उनके मुवक्किल ने भाषण के माध्यम से हिंसा का कोई आह्वान नहीं किया और वास्तव में लोगों को एकता का संदेश दिया.

उस दिन उमर खालिद ने महात्‍मा गांधी जी पर आधारित एकता का संदेश दिया था और इसे आतंक करार दिया गया. वह लोकतांत्रिक सत्ता की बात कर रहे हैं. उन्होंने गांधी का जिक्र किया. उमर खालिद के लिए जमानत की मांग करते हुए, वकील ने कोर्ट से कहा कि खालिद को कथित तौर पर महाराष्ट्र के अमरावती में भाषण देते हुए वीडियो फुटेज का मूल भाजपा सदस्य अमित मालवीय के एक ट्वीट से लिया गया था और फिर समाचार चैनलों द्वारा प्रसारित किया गया था. कोर्ट 3 सितंबर को मामले की सुनवाई करेगा.
शरजील इमाम के वकील ने कहा, शरजील ने ऐसा कुछ नहीं कहा जिसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हिंसा के हुआ हो, भाषण में कहा गया कि सड़क पर अवरुद्ध उत्पन करो, रेल रोको आंदोलन करो, ताकि लोग सड़कों को पार ना कर पाए. शरजील इमाम किसी बैन संस्था से जुड़ा हुआ नहीं है. चार्जशीट में भी शरजील को किसी आतंकी संगठन से जुड़ा हुआ नहीं बताया गया, वह छात्र है. शरजील इमाम के वकील ने कहा एनआरसी सीएए के विरोध को भारत के लोकतंत्र को राजद्रोह जैसी मान्यता नहीं दी जा सकती.

शरजील के वकील ने कहा कि देश के नागरिक को सरकार के खिलाफ या उसके संसाधनों के बारे में आलोचना या टिप्पणी के जरिए कुछ कहने या लिखने का अधिकार प्राप्त है. हमारे समाज के आलोचना भी आवश्यक हैं क्योंकि जिस समाज में आलोचना का अंत हो जायेगा, वही समाज मर जाएगा. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आगर आप किसी भी भाषण को देख रहे हैं, तो उसका एक दृष्टिकोण है इससे भी फर्क पड़ता है कि भाषण सार्वजनिक, हाल में या निजी तौर पर दिया जा रहा है? कड़कड़डूमा कोर्ट में सितंबर के पहले हफ्ते में मामले की सुनवाई होगी.