समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरित मानस पर विवादित बयान दिए जाने को लेकर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) चीफ ओमप्रकाश राजभर ने उन पर हमला बोला है। ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि यदि उन्हें रामचरित मानस की दोहा-चौपाई नापसंद है तो जब सत्ता में थे, बहुमत की सरकार में मंत्री थे, उस समय हटा देना चाहिए था। लेकिन तब तो इन्हें पिछले, दलित, अल्पसंख्यक की याद नहीं आई। जातिवार जनगणना कराकर सबको बराबर हक देने और एक समान अनिवार्य शिक्षा की याद नहीं आई। ओमप्रकाश राजभर ने समाजवादी पार्टी को भी आड़े हाथों लेते हुए सवाल उठाया कि क्या वो इस तरह के बयान देने वाले नेता के खिलाफ कार्रवाई करेगी।

उधर, ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरुन राजभर ने भी इस मुद्दे को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी भाजपा सांसद बेटी संघमित्रा पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि ‘समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य श्रीरामचरितमानस को प्रतिबंधित की बात कर रहे है, बेटी भाजपा से सांसद हैं क्या बेटी भी सहमत है? याद है सपा के ही एक नेता ने श्रीराम जी को काल्पनिक बताया था तो अखिलेश यादव पार्टी से निष्कासित कर दिये थे, क्या अब इनको भी बाहर का रास्ता दिखायेंगे।’
बता दें कि रामचरित मानस को लेकर अचानक से विवाद खड़ा करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। पहले बिहार के शिक्षा मंत्री ने इस बारे में विवादित टिप्पणी की थी। फिर सपा नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी इस पर विवादित बयान दे दिया। स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस के कुछ हिस्सों पर यह कहते हुए बैन (प्रतिबंध) लगाने की मांग की कि उनसे समाज के एक बड़े तबके का अपमान होता है। स्वामी ने अपने इस बयान को निजी बताया तो समाजवादी पार्टी ने भी इससे पल्ला झाड़ लिया है। उधर, भाजपा इसे लेकर लगातार समाजवादी पार्टी पर हमलावर है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा है कि इस बारे समाजवादी पार्टी को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
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