उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को देहरादून स्मार्ट सिटी परियोजना के मामले का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को परियोजना के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा और दून वैली महा योजना (मास्टर प्लान) तथा पर्यटन विकास योजना (टूरिज्म डेवलेंपमेंट प्लान) के मामले में केन्द्र सरकार को नया जवाबी हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा।
कोर्ट ने मांगी नई रिपोर्ट
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ ने दिल्ली निवासी आकाश वशिष्ठ की ओर से दायर जनहित याचिका पर आज सुनवाई की। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर अदालत में पेश हुए और उन्होंने राज्य सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि राज्य सरकार ने दून वैली का टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान तैयार करके चार अक्टूबर को केन्द्र सरकार को भेज दिया।
अब केन्द्र सरकार 60 दिन के अदंर इस पर अपनी मुहर लगाएगी और अंतिम अधिसूचना जारी करेगी। राज्य सरकार की ओर से दून वैली का टूरिज्म डेवलेंपमेंट प्लान भी अदालत के समक्ष पेश किया गया। इसी के साथ ही उन्होंने अदालत से जनहित याचिका को पूरी तरह से निस्तारित करने की मांग की। अदालत ने उनकी मांग हालांकि अस्वीकार कर दी और केन्द्र सरकार को निर्देश दिए कि वह इस मामले से जुड़ी नई रिपोर्ट अगली सुनवाई पर अदालत में पेश करे।
आठ दिसंबर को सुनवाई करेगी अदालत
इसके साथ ही, अदालत ने जनहित याचिका को विस्तारित करते हुए देहरादून स्मार्ट सिटी परियोजना को भी याचिका में समाहित कर लिया। अदालत ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को परियोजना के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट भी अदालत में पेश करने को कहा है। अदालत ने सरकार से पूछा है कि स्वीकृत परियोजना के साथ कितनी धनराशि खर्च हो चुकी है।
साथ ही, परियोजना के तहत कौन-कौन से विकास कार्य अभी तक किए गए हैं। अदालत इस पूरे प्रकरण पर आठ दिसंबर को सुनवाई करेगी। अदालत ने याचिकाकर्ता को देहरादून नगर निगम को भी पक्षकार बनाने और पर्यटन सचिव को भी अदालत में पेश होने के निर्देश दिये हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता से राज्य सरकार के टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान पर भी जवाब देने को कहा है। अदालत के कड़े रूख से साफ है कि देहरादून स्माटर् सिटी परियोजना के मामले में राज्य सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है।
उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ने वर्ष 2021 में दायर जनहित याचिका में कहा कि केन्द्र सरकार ने 1989 में एक अधिसूचना जारी कर दून वैली के विकास के लिए मास्टर प्लान और पर्यटन के विकास के लिए टूरिज्म डेवलपमेंट प्लान तैयार करने के निर्देश दिए थे। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी आरोप लगाया गया कि राज्य सरकार की ओर से न तो दून वैली मास्टर प्लान और न ही टूरिज्म डेवलपमेंट तैयार किया गया है। इससे दून वैली का सुनियोजित विकास नहीं हो पा रहा है। इसका असर दून वैली के पर्यावरण, नदियों, जल स्रोतों और जंगलों पर पड़ रहा है।
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