गंगा नदी के संरक्षण और सफाई के प्रति गंभीर राज्य सरकार के प्रयासों को एक और कामयाबी मिली है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की 56वीं कार्यकारी समिति की बैठक में प्रदेश के लिए 73.39 करोड़ की पांच परियोजनाओं को मंजूरी मिली है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य गंगा नदी के संरक्षण और सफाई के लिए कदम उठाना है। इससे नदी के प्रदूषण को कम करने और ईको-सिस्टम को सुधारने में काफी मदद मिलेगी।
नमामि गंगे और आईआईटी बीएचयू के बीच संस्थागत ढांचे के तहत वाराणसी में स्मार्ट लेबोरेटरी फॉर क्लीन रिवर परियोजना सचिवालय की स्थापना की जाएगी। यह परियोजना देश में छोटी नदियों के कायाकल्प पहल है। बुलंदशहर के गुलावठी के लिए पर्यावरणीय परियोजना को मंजूरी दी गई है। इसका उद्देश्य गंगा की सहायक पूर्वी काली नदी के प्रदूषण को रोकना है। इसके अंतर्गत इंटरसेप्शन एवं डायवर्जन के साथ ही 10 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनेगा। इस परियोजना की अनुमानित लागत 50.98 करोड़ रुपये है।
रायबरेली के डलमऊ में गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए फीकल स्लज मैनेजमेंट परियोजना को मंजूरी दी गई है। परियोजना के तहत 8 केएलडी क्षमता वाले प्लांट के साथ 15 किलोवाट का सोलर पावर प्लांट लगेगा। इसकी लागत 4.40 करोड़ रुपये है। ऐसे ही प्रयागराज के छिवकी रेलवे स्टेशन पर अर्थ गंगा केंद्र की स्थापना और स्टेशन की ब्रांडिंग की परियोजना मंजूर हुई है। इसकी कुल लागत 1.80 करोड़ रुपये होगी।
बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विवि लखनऊ द्वारा प्रकृति-आधारित समाधानों के माध्यम से ऊपरी गोमती नदी बेसिन में निचले क्रम की धाराओं और सहायक नदियों के कायाकल्प की योजना को भी मंजूरी मिली है। इसकी अनुमानित लागत 81.09 लाख रुपए है। बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने की। बैठक में एनएमसीजी के उपमहानिदेशक नलिन श्रीवास्तव, ईडी (प्रोजेक्ट) ब्रिजेंद्र स्वरुप, ईडी (तकनीकी) अनिल कुमार सक्सेना, ईडी (एडमिन) एसपी वशिष्ठ, ईडी (फाइनेंस) भास्कर दासगुप्ता शामिल हुए।
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