बीएचयू कैंपस की सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कुलपति आवास के पास सिक्योरिटी कमांड सेंटर बनाया जाएगा। इससे पहले कैंपस में आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वालों का डेटाबेस फोटो के साथ तैयार किया जाएगा। चिह्नित लोग विश्वविद्यालय के किसी भी गेट से कैंपस में प्रवेश करेंगे तो फेस रिकग्निशन टेक्निक से उनकी फोटो सिक्योरिटी कमांड सेंटर की स्क्रीन पर फ्लैश होने लगेगी और अलर्ट जारी हो जाएगा।
इसके लिए डीपीआर तैयार की जा रही है। सिक्योरिटी कमांड सेंटर बनने के बाद एक ही जगह से ही कैंपस के संकायों, विभागों, हॉस्टल के अलावा अस्पताल सहित अन्य जगहों पर सुरक्षा की निगरानी हो सकेगी। परिसर के सभी प्रवेश द्वार पर हाई रिजॉल्यूशन के नाइट विजन कैमरे लगाए जाएंगे। इससे कैंपस में प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति की फेस रीडिंग हो सकेगी। गाड़ी के नंबर भी कैप्चर हो जाएंगे।
परिसर में छेड़खानी, मारपीट, अस्पताल में चोरी की घटनाओं पर पूरी तरह अंकुश लगा पाना चीएचयू प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। चीफ प्रॉक्टर प्रो. एसपी सिंह ने बताया कि इस सेंटर में ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि पूर्व में मारपीट, चोरी, छेड़खानी जैसी घटनाओं को अंजाम दे जाएगी। एक ही जगह सभी फुटेज भी सुरक्षित किए जा चुके अराजक तत्वों की फोटो सॉफ्टवेयर में फीड रहेगी।
केंद्रीयकृत व्यवस्था न होने से होती है परेशानी
कैंपस में सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी के लिए कोई केंद्रीयकृत व्यवस्था नहीं है। इस वजह से घटनाओं के दौरान अलग-अलग जगहों पर जाकर सीसी फुटेज लेनी पड़ती है। अब सेंटर से ही सभी जगहों की निगरानी हो सकेंगे।
महीने में दो बार समीक्षा
कमांड सेंटर में एक बड़ा हॉल भी बनाया जाएगा। इसमें महीने में कम से कम दो बार प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्यों के साथ ही सुरक्षा सुपरवाइजर, महिला सुरक्षाधिकारी सहित अन्य लोगों के साथ सुरक्षा के मुद्दे पर बैठक, कार्यशालाएं, प्रशिक्षण कार्यक्रमों आदि का आयोजन कर सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा भी की जाएगी।
तीन महीने तक सुरक्षित रख सकेंगे सीसी कैमरे की फुटेज
विश्वविद्यालय में सीआईएसएफ की टीम ने पिछले दिनों करीब 15 दिन तक रहकर सुरक्षा के हर छोटे से बड़े बिंदुओं का अध्ययन किया था। अभी टीम की विस्तृत रिपोर्ट आनी बाकी है, लेकिन टीम के सदस्यों ने जो कुछ सुझाव दिए थे, उसे धीरे-धीरे अमल में लाना शुरू कर दिया है।
क्या बोले अधिकारी
डीपीआर तैयार की जा रही है। जल्द ही काम शुरू होगा। इसके तहत गेट और चौराहों पर लगने वाले इन कैमरों में तीन माह तक फुटेज सुरक्षित रहेगी। अभी केवल 7 से 12 दिन तक ही फुटेज रह पाती हैं। -प्रो. एसपी सिंह, चीफ प्रॉक्टर, बीएचयू
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