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भारत ने तालिबान से पहली बार की बातचीत

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच लगातार बने सैन्य तनाव के बीच भारत ने अफगानिस्तान में काबिज तालीबान से संपर्क किया है। पहली बार अफगानिस्तान के अंतरिम रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब से भारतीय विदेश मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी की मुलाकात हुई है। वैसे भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि यह मुलाकात अफगानिस्तान को मदद देने के संदर्भ में और ईरान में चाबहार पोर्ट का अफगानी कारोबारियों की तरफ से इस्तेमाल से जुड़े मुद्दों को लेकर हुई है।

पाकिस्तान सरकार के साथ तालिबान के रिश्ते तनावग्रस्त

पूर्व में भी भारत की तरफ से अफगानिस्तान को कई बार गेहूं, दवाइयां आदि मानवीय आधार पर दी गई हैं। इस मदद को आगे भी बढ़ाए जाने के संकेत हैं। हालांकि भारत अभी भी 2021 से अफगानिस्तान पर शासन कर रहे तालिबान शासन को मान्यता नहीं देता है, लेकिन जहां पाकिस्तान सरकार के साथ तालिबान के रिश्ते लगातार तनावग्रस्त होते जा रहे हैं वहीं भारत के साथ संपर्क बढ़ा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा- ‘संयुक्त सचिव जेपी सिंह की अगुआई में एक भारतीय दल ने काबुल में अफगानिस्तान के अंतरिम रक्षा मंत्री मोहम्मद याकूब से मुलाकात की है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कुछ दूसरे नेताओं, पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजाई व अफगान में कार्यरत यूएन एजेंसियों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की है। बातचीत में मुख्य तौर पर चाबहार पोर्ट का अफगानी कारोबारियों की तरफ से आयात व निर्यात के लिए इस्तेमाल करने की संभावना का मुद्दा उठा।’

एक समस्या ये भी है

अभी पाकिस्तान भारत व अफगानिस्तान को जमीनी रास्ते से कारोबार करने की इजाजत नहीं देता है। ऐसे में ईरान स्थित चाबहार पोर्ट का इस्तेमाल अफगान के उद्यमी कर सकते हैं।हाल ही में चाबहार पोर्ट के प्रबंधन का ठेका भारतीय कंपनी को दस वर्षों के लिए मिला है। जायसवाल ने आगे कहा कि भारत का अफगानिस्तान के साथ बेहद पुराना रिश्ता है। इस आधार पर ही अफगानिस्तान के साथ संबंधों को आगे भी तय किया जाएगा। जायसवाल ने आगे कहा कि भारत का अफगानिस्तान के साथ बेहद पुराना रिश्ता है। इस आधार पर ही अफगानिस्तान के साथ संबंधों को आगे भी तय किया जाएगा। बता दें कि इस वर्ष की शुरुआत में भारत ने ईरान के साथ चाबहार पोर्ट के विकास और संचालन के लिए 10 साल का अनुबंध किया था, जिसे उसकी सहायता से बनाया गया था।