वैदिक पंचांग के अनुसार 15 दिसंबर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा और अन्नपूर्णा जयंती है। इस शुभ अवसर पर आत्मा के कारक सूर्य देव वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में गोचर करेंगे। अत 15 दिसंबर को धनु संक्रांति मनाई जाएगी। धनु संक्रांति के दिन से खरमास (Kharmas 2024 Date) की शुरुआत होगी। वहीं 14 जनवरी को सूर्य देव मकर राशि में गोचर करने के साथ ही खरमास समाप्त होगा।
सनातन धर्म में खरमास का विशेष महत्व है। इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। साथ ही नवीन कार्य की शुरुआत भी नहीं की जाती है। अनदेखी करने से जातक या व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त नहीं होता है। ज्योतिषियों की मानें तो खरमास के दौरान गुरु का प्रभाव शून्य हो जाता है। इसके लिए शुभ कार्य करने का औचित्य नहीं रह जाता है। देवगुरु बृहस्पति शुभ कार्य या काम के कारक माने जाते हैं। इसके लिए गुरु ग्रह का उदय रहना जरूरी है।
खरमास (Kharmas 2024 Date) के दौरान सूर्य देव की पूजा करने से आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही करियर या कारोबार में जातक को मनमुताबिक सफलता मिलती है। साधक श्रद्धा भाव से खरमास के दौरान सूर्य देव की उपासना करते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि खरमास क्यों लगता है और वर्ष में कितनी बार खरमास लगता है ? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
कब लगता है खरमास?
ज्योतिषियों की मानें तो आत्मा के कारक सूर्य देव के गुरु की राशि धनु या मीन में गोचर करने के दौरान खरमास लगता है। सूर्य देव के धनु राशि में गोचर करने या सूर्य के समीप होने से गुरु का प्रभाव क्षीण या शून्य हो जाता है। इसके लिए खरमास लगता है। शुभ कार्य को करने के लिए गुरु का उदय होना अनिवार्य है। गुरु का प्रभाव शून्य होने के चलते खरमास के दौरान मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है।
खरमास 2024
सूर्य देव के धनु राशि में गोचर करने के साथ ही खरमास शुरू होगा। इस वर्ष 15 दिसंबर से लेकर 13 जनवरी तक खरमास है। इसके अगले दिन 14 जनवरी को सूर्य देव मकर राशि में गोचर करेंगे। अतः मकर संक्रांति के दिन खरमास समाप्त होगा। खरमास के दौरान सूर्य देव की उपासना करें।
खरमास 2025
साल 2025 में आत्मा के कारक सूर्य देव 14 मार्च को मीन राशि में गोचर करेंगे। वहीं, 14 अप्रैल को सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करेंगे। अतः साल 2025 की पहली तिमाही में 14 मार्च से लेकर 14 अप्रैल तक खरमास रहेगा। इसके बाद 16 दिसंबर से खरमास लगेगा।