Friday , May 30 2025

दूसरे बड़े मंगल पर करें ये पाठ, खुशियों से भर जाएगा जीवन

ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले मंगलवार को बड़ा मंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन भक्त हनुमान जी की पूजा-अर्चना और व्रत करते हैं। हिंदू पंचांग को देखते हुए इस साल ज्येष्ठ महीने का दूसरा बड़ा मंगल 20 मई को पड़ रहा है। माना जाता है कि इस दिन भक्ति भाव के साथ हनुमान जी की पूजा करने से सभी दुखों का अंत होता है। वहीं, इस दिन (Bada Mangal 2nd 2025) बजरंग बाण का पाठ बेहद शुभ माना जाता है। ऐसे में स्नान के बाद वीर बजरंगी के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाकर एक लय में भाव के साथ इस इसका पाठ करें। ऐसा करने से आपके जीवन को एक नई दिशा मिलेगी। साथ ही धीरे-धीरे आपके सभी कष्टों का निवारण होने लगेगा। ॥बजरंग बाण॥ ॥ दोहा ॥ निश्चय प्रेम प्रतीति ते,बिनय करै सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ,सिद्ध करै हनुमान॥ ॥ चौपाई ॥ जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी॥ जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥ जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥ आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका॥ जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा॥ बाग उजारि सिन्धु महं बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा॥ अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥ लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुर पुर महं भई॥ अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहुं उर अन्तर्यामी॥ जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दुःख करहुं निपाता॥ जय गिरिधर जय जय सुख सागर। सुर समूह समरथ भटनागर॥ ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले। बैरिहिं मारू बज्र की कीले॥ गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो॥ ॐकार हुंकार महाप्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो॥ ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमन्त कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा॥ सत्य होउ हरि शपथ पायके। रामदूत धरु मारु धाय के॥ जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा॥ पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥ वन उपवन मग गिरि गृह माहीं। तुमरे बल हम डरपत नाहीं॥ पाय परौं कर जोरि मनावों। यह अवसर अब केहि गोहरावों॥ जय अंजनि कुमार बलवन्ता। शंकर सुवन धीर हनुमन्ता॥ बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥ भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बैताल काल मारीमर॥ इन्हें मारु तोहि शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥ जनकसुता हरि दास कहावो। ताकी शपथ विलम्ब न लावो॥ जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा॥ चरण शरण करि जोरि मनावों। यहि अवसर अब केहि गोहरावों॥ उठु उठु चलु तोहिं राम दुहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई॥ ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता॥ ॐ हं हं हांक देत कपि चञ्चल। ॐ सं सं सहम पराने खल दल॥ अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो॥ यहि बजरंग बाण जेहि मारो। ताहि कहो फिर कौन उबारो॥ पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की॥ यह बजरंग बाण जो जापै। तेहि ते भूत प्रेत सब कांपे॥ धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहे कलेशा॥ ॥ दोहा ॥ प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै,सदा धरै उर ध्यान। तेहि के कारज सकल शुभ,सिद्ध करै हनुमान॥