राली आपदा का आज 12वां दिन है। वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई है। मौसम की चुनौती के बीच दोपहर बाद हेली से रेस्क्यू शुरू हो गया। प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है।
बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन की ओर से धराली में मलबे के बीच से वाहनों की आवाजाही सुचारू कर दी है, लेकिन इसेस आगे हर्षिल में बनी झील में डूबे हाईवे को सुचारू करना एक बड़ी चुनौती है। सुबह मौसम खराब होने के कारण हेली से रेस्क्यू बंद था, लेकिन अब दोपहर बाद मौसम साफ होने पर हेली से रेस्क्यू शुरू हो गया है। प्रभावित क्षेत्र में रसद समाग्री पहुंचाई जा रही है।
धराली में आई आपदा के 12 दिन बाद भी गांव में चुनौतियां बरकरार हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्रों तक जरूरी सामान पहुंचाने में भारी मुश्किलें आ रही हैं। मुखबा-धराली को जोड़ने वाला पुल क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण मजदूर अपनी जान जोखिम में डालकर भागीरथी नदी के बीच से रस्सी के सहारे रसोई गैस सिलिंडर और अन्य सामग्री पहुंचा रहे हैं।
आपदा के बाद से धराली गांव में स्थिति जस की तस है। ग्रामीण अभी तक सदमे में हैं और अपनी दिनचर्या मंदिर के आंगन और मलबे के पास बैठकर गुजार रहे हैं। आपदा का मंजर याद कर महिलाएं भावुक हो रही हैं। प्रशासन की ओर से प्रभावित लोगों तक खाद्य सामग्री और राहत सामग्री लगातार पहुंचाई जा रही है।
खीर गंगा के मलबे में दबे लोगों का नहीं चला पता
खीर गंगा के मलबे में दबे लोगों का पता नहीं चल पाया है। सर्च टीमें आधुनिक उपकरणों और स्निफर डॉग्स की मदद से लगातार तलाशी अभियान चला रही हैं लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। वहीं सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) गंगोत्री हाईवे को खोलने का प्रयास कर रहा है, लेकिन रात में होने वाली बारिश के कारण खीर गंगा का जलस्तर बढ़ जाता है, जिससे मरम्मत का काम बार-बार बाधित हो रहा है। इसके बावजूद एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लापता लोगों की तलाश में जुटी हुई हैं।