मथुरा:श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के तीन विभाग मिलकर कृष्णोत्सव के लिये मथुरा को नयी नवेली दुल्हन की तरह सजा रहे हैं। सजे धजे चौराहे और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन पर्यटकों एवं तीर्थयात्रियों को कण कण में श्यामाश्याम की अनुभूति कराएंगे और नई पीढ़ी को ब्रज की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर की जानकारी भी देंगे।
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद, पर्यटन विभाग एवं जिला प्रशासन द्वारा आयोजित अनूठे कार्यक्रम के जरिये से यह प्रयास किया गया है कि यहां आने वाला पर्यटक न केवल यहां की चकाचौंध सजावट से प्रभावित हो बल्कि अपने साथ यह संदेश लेकर जाय कि ब्रज की संस्कृति इतनी समुद्धशाली है कि जब यहां गायन, वादन और नृत्य की त्रिवेणी प्रवाहित होती है तो मृग भी अपनी सुध बुध खो बैठता है। यहां ऐसे अनूठे प्राचीन वाद्य यंत्र हैं जो देखने में साधारण महसूस होते हैं मगर उनकी मधुर ध्वनि परेशान मानव को कुछ क्षण के लिए शांति की अनुभूति कराती है।
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ नगेन्द्र प्रताप ने शनिवार को पत्रकारों को बताया कि इस त्रिदिवसीय कार्यक्रम में जहां 29 और 3० अगस्त को रामलीला मैदान मथुरा में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है वहीं तीसरे दिन यानी 31 अगस्त को गोकुल में नन्दोत्सव के अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। रामलीला मैदान के कार्यक्रमों में प्रमुख आकर्षण ब्रज के लोक संगीत, लोक नुत्य, रासलीला, जंगम जोगी, लोकगीत, नृत्य नाटिका, भजन, कत्थक नृत्य एवं महारास के प्रस्तुतीकरण का होगा।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा 12 चौराहों या तिराहों को आकर्षक रूप से सजाया गया है वहीं पर मंच बनाकर ब्रज के मशहूर राई नृत्य, चरकुला नृत्य, मयूर नृत्य, घड़ा नृत्य समेत विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन इस प्रकार किया जाएगा कि उधर से गुजरने वाला पर्यटक कुछ समय के लिए रूकने को मजबूर हो जाय। ऐसा ही कार्यक्रम गोकुल और गोवर्धन में भी आयोजित किया जाएगा।
इसके अलावा मथुरा के विश्राम घाट, वृन्दावन के केसी घाट तथा गोकुल के ठकुरानी घाट को द्वापर का स्वरूप देते हुए यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि यहां की स्थापत्य कला बेजोड़ है।