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श्रीलंका सरकार ने दो फ्रंट-लाइन मंत्रियों को किया निलंबित, पार्टी अनुशासन का उल्लंघन करने का लगा आरोप

श्रीलंका सरकार ने अपने दो फ्रंट-लाइन मंत्रियों को निलंबित कर दिया है। पार्टी अनुशासन का उल्लंघन करने के लिए श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) द्वारा दोनों मंत्रियों को निलंबित किया गया है। इस मामले में पार्टी सचिव दयासचिव जयशेखर ने मीडिया से कहा कि “जब तक दोनों मंत्री अपना स्पष्टीकरण नहीं दे देते, तब तक दोनों अस्थायी रूप से निलंबित रहेंगे”।

इन मंत्रियों को किया गया निलंबित

एसएलएफपी की केंद्रीय समिति ने 21 नवंबर को बैठक की थी जिसमें उड्डयन मंत्री निमल सिरीपाला डी सिल्वा और कृषि मंत्री महिंदा अमरवीरा के साथ राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की सरकार में तीन अन्य कनिष्ठ मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया गया था। इन सभी मंत्रियों पर पार्टी अनुशासन का उल्लंघन करने का आरोप लगा है। हालांकि, पार्टी के निलंबन का मतलब ये नहीं कि मंत्रियों को विक्रमसिंघे के मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया है।

सरकारी राजस्व बढ़ाने के लिए जारी किया प्रस्ताव

वित्त मंत्री विक्रमसिंघे ने देश के मौजूदा आर्थिक संकट को दूर करने के लिए सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए कर सुधारों का एक प्रस्ताव जारी किया है। बता दें कि श्रीलंका में आर्थिक संकट के कारण देश भर में व्यापक पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इस विरोध प्रदर्शन की वजह से ही तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

विक्रमसिंघे ने किया आर्थिक सुधारों का वादा

आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को दोबारा से पटरी पर लाने का वित्त मंत्री विक्रमसिंघे ने वादा किया था। वहीं आर्थिक सुधारों के लिए जारी किया गया ये प्रस्ताव सांसदों को पंसद नहीं आ रहा है। विक्रमसिंघे के सांसदों में नाराजगी पैदा हो गई है। सांसदों ने आरोप लगया है कि विक्रमसिंघे ने श्रीलंका टेलीकॉम को भी निशाना बनाया था।

श्रीलंका में विरोध प्रदर्शन

बता दें कि श्रीलंका इस साल विदेशी मुद्रा भंडार में रिकार्ड कमी के चलते गहरे वित्तीय संकट की चपेट में है। जिसके कारण ही यहां पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस समेत खाने-पीने की चीजें और दवा भी कई गुना महंगी हो गई हैं। श्रीलंका को इंपोर्ट किए जाने वाले सामान के बदले भुगतान करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है और 22 मिलियन लोगों ने द्वीप को छोड़ दिया है।