राज्य में सिविल सर्जन अब 50 वर्ष से अधिक उम्र के नहीं होंगे। मरीजों को दी जा रही सेवाओं को और प्रभावी बनाने और अस्पतालों की प्रबंधकीय क्षमता को बेहतर बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग इस रणनीति पर काम कर रहा है। जल्द इस बाबत ठोस निर्णय ले लिया जाएगा।

दरअसल, राज्य के अधिकतर सिविल सर्जन 50 वर्ष से अधिक उम्र के हैं। इनकी कार्यशैली को लेकर सवाल भी उठते रहते हैं। विभाग का मानना है कि सिविल सर्जन फील्ड के लिए सबसे सक्षम व वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी होते हैं। ऐसे में उनका चुस्त-दुरुस्त होना जरूरी है। इसी के आलोक में विभाग इस प्रस्ताव पर काम कर रहा है कि क्यों न सिविल सर्जन की अधिकतम उम्र सीमा 50 वर्ष कर दी जाए। इससे अधिक उम्र वाले चिकित्सकों को सिविल सर्जन की जिम्मेवारी नहीं दी जाए। सूत्रों के अनुसार इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा चुका है। जल्द इसे अमलीजामा पहनाने की तैयारी है।
वहीं दूसरी ओर प्रखंड व जिलों के अस्पतालों द्वारा बिना ठोस वजह के मरीजों को रेफर करने वाले चिकित्सकों पर कार्रवाई होगी।
स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सकों की इस कार्यशैली में सुधार के लिए रेफरल पॉलिसी बनाने का निर्णय लिया है। नीति का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है।
जल्द इसे राज्य कैबिनेट के समक्ष ले जाया जाएगा।
दरअसल, प्रखंड हो या जिलों के अस्पताल, चिकित्सक आमतौर बर मरीजों को रेफर कर देते हैं। छोटी बीमारियों का भी उपचार करने की जगह मरीज को दसरे बड़े अस्पताल में भेज देते हैं। ऑपरेशन की कौन कहे, हाथ-पैर में चोट लगने पर भी सीधे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है। जबकि सदर अस्पताल में ही विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती है। चिकित्सकों की ओर से रेफर करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने रेफरल पॉलिसी बनाने का निर्णय लिया है।
मरीजों का रिकॉर्ड ऑनलाइन होगा
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