उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में बेरोजगारों के अरमानों से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्ती का प्रावधान किया जा रहा है। पुष्कर सिंह धामी सरकार नकल विरोधी कानून पर सख्ती से प्लान बना रही है। कार्मिक विभाग ने नकल विरोधी कानून के ड्राफ्ट पर न्याय विभाग से परामर्श मांगा है।

विधानसभा के शीत सत्र में नकल विरोधी विधेयक के भी आने की उम्मीद थी, पर इसका फूलप्रूफ ड्राफ्ट तैयार नहीं हो पाया था। अब सरकार ने इसमें उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, लोक सेवा आयोग व चिकित्सा चयन आयोग के भी सुझाव शामिल कर लिए हैं। यूकेएसएसएससी की कई परीक्षाओं में जिस तरह से धांधली और घपलों के मामले प्रकाश में आए, उसे देख सरकार को यह कदम उठाना पड़ा, ताकि भविष्य में बेरोजगार नौजवानों के हितों से खिलवाड़ करने वालों को सबक सिखाया जाए।
सूत्रों ने बताया कि कार्मिक विभाग ने नकल में पकड़े जाने वाले परीक्षार्थियों, आयोग के कर्मचारियों की मिलीभगत और पेपर प्रिंट करने वाली कंपनियों के लिए कड़े प्रावधान किए हैं। मसलन, यदि किसी कंपनी संचालक या कर्मचारी के पर्चा लीक कराने में मिलीभगत पाई जाती है तो उस पर 10 करोड़ रुपये अर्थदंड रूप में जुर्माना किया जाएगा। हालांकि, इस राशि को पांच करोड़ तक किया जा सकता है।
इसी तरह दस साल तक की सजा का प्रावधान किया है। इसी तरह परीक्षार्थियों के पकड़े जाने पर एक लाख रुपये जुर्माना और तीन साल तक की सजा की जा सकती है। इसके साथ ही परीक्षार्थियों को अगले पांच साल तक के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने के लिए ब्लैकलिस्ट भी किया जा सकता है। सू
त्रों ने बताया कि न्याय विभाग का परामर्श मिलते ही इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
कैबिनेट बैठक फैसला ले सकती है सरकार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आगामी 20 दिसंबर को सचिवालय में कैबिनेट बैठक होगी। बैठक पूर्वाह्न 11 बजे शुरू होगी। सूत्रों ने बताया कि सरकार यदि नकल विरोधी कानून जल्द बनाना चाहेगी तो इसे अध्यादेश के रूप में कैबिनेट से मंजूरी मिल सकती है। अन्यथा विधेयक के रूप में लाने के लिए बजट सत्र तक का इंतजार करना होगा।
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