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धंसते रिज को बचाने के लिए काटने होंगे पेड़

शिमला. हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध टूरिस्ट स्पॉट शिमला के ऐतिहासिक रिज को बचाने के लिए अब पेड़ अड़ंगा बन गए हैं .पेड़ों को लेकर अब नगर निगम शिमला ने एफसीए केस बनाने का निर्णय लिया है.शिमला के गेयटी थिएटर के समीप करीब 10 सालों से धंसते रिज को बचाने के लिए नगर निगम शिमला ने कवायद तो शुरू कर दी. लेकिन इसकी टेंडर प्रक्रिया शुरू करने से पहले ही कई तरह की अड़चने इसमें रोड़ा बन रही हैं.

लोक निर्माण विभाग शिमला डिवीजन ने पहले इसकी टेंडर प्रक्रिया आरंभ कर दी थी लेकिन काम में आने वाले पेड़ों ने इस कार्य को रोक दिया है. यानी कि एनजीटी के आदेशों के तहत किसी भी कार्य में यदि पेड़ बाधा बनता है तो उसके लिए एफसीए की अनुमति लेना बहुत जरूरी होता है. धंसते रिज को बचाने के लिए भी करीब 14 पेड़ अब अड़ंगा बन गए हैं, जिसके लिए एफसीए की मंजूरी लेना बहुत जरूरी है. नगर निगम शिमला ने अब वन विभाग को जल्द एफसीए केस बनाने के निर्देश दिए हैं, ताकि इस कार्य को शुरू कर दिया जाए.

वन विभाग का कहना है पेड़ों को लेकर एफसीए मामला तैयार कर मंजूरी के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव वन को भेज दिया है और जिस पर अब सरकार अंतिम मुहर लगाएगी. उसके बाद ही निर्माण कार्य को मंजूरी दी जाएगी. नगर निगम मेयर सत्य कौंडल का कहना है की स्मार्ट सिटी के तहत लोक निर्माण विभाग को निर्माण कार्य का जिम्मा सौंपा गया है जिस पर करीब 30 करोड़ रुपए खर्च होंगे. निर्माण कार्य के लिए आईआईटी रुड़की से डिजाइन तैयार किया गया है. अब सिर्फ एफसीए की अनुमति और टेंडर प्रक्रिया होनी है, जिसके बाद यह कार्य शुरू होगा. उन्होंने बताया कि इस कार्य में करीब 14 पेड़ रविनिया के लग रहे हैं जिसको लेकर एफसीए मामला बनना है, जिसे मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा गया है. उन्होंने कहा कि इस कार्य में कुछेक क्षेत्र वन विभाग का आ रहा है और कुछ एमसी की जमीन है, जिससे कार्य शुरु करने में दिक्कत आ रही है. अब उम्मीद है कि जल्द यह कार्य शुरु किया जायेगा ताकि ऐतिहासिक रिज मैदान को बचाया जा सके.

बता दें कि रिज मैदान पर पहली बार साल 2011 में दरारें देखी गई थी जिसके बाद बरसात के मौसम में गेयटी थियेटर के सामने से तिब्बती मार्किट की तरफ धंस गया था, जिसमें कई दुकानें दब गई थी, जबकि दो लोगों की मौत भी हुई थी.उसके बाद से हर साल यह क्षेत्र लगातार धंसता जा रहा है, लेकिन एमसी ने इस क्षेत्र को बचाने के लिए कोई ज्यादा तवज्जो नहीं दी. साल 2018 में एमसी ने इस क्षेत्र को बचाने के लिए बजट का प्रावधान किया और इस कार्य को करने के लिए लोक निर्माण विभाग को सौंपा.लेकिन दो साल तक इस क्षेत्र की मिट्टी जांचने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने खुद निर्देश दिए साथ ही जियोलॉजिकल डिपार्टमेंट को भी मिट्टी की जांच के आदेश दिए.

मुख्यमंत्री के आदेश के बाद लोक निर्माण विभाग ने आईआईटी रुड़की से संपर्क किया, जिसके बाद अब इस क्षेत्र का बचाने का कार्य शुरु किया जा रहा है, जबकि इस कार्य पर स्मार्ट सिटी के तहत पैसा खर्च किया जा रहा है. बता दें कि लगातार धंस रहे रिज से लोअर बाजार की टनल से लेकर तिब्बती मार्किट के पूरे क्षेत्र में दरारें पड़ गई है, जिससे किसी बड़ी अनहोनी का खतरा लगातार बना हुआ है.अब जब विभाग ने इस क्षेत्र को बचाने की कवायद शुरू कर दी है तो अब देखना होगा कि कब यह कार्य शुरु होगा और कब इस कार्य को पूरा कर शिमला की शान को पुराना स्वरुप दिया जाएगा.