नई दिल्ली. डेढ़ साल से भारत और चीन के बीच जारी वास्तविक नियंत्रण रेखा विवाद को जमीन पर सुझाने की कोशिशें जारी हैं. लेकिन इसकी रफ्तार थोड़ी धीमी रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि भारतीय सेना को चीनी सेना पर भरोसा नहीं. क्योंकि चीन बातचीत की मेज पर कुछ होता है और उसके बाद कुछ और. लिहाजा ड्रैगन की हर चाल को समझते हुए भारत हर कार्रवाई बहुत सोच समझ कर और जमीन पर पुष्टि करने के बाद ही कर रहा है.
भारत एलएसी से सेना को वापस कर रहा है लेकिन बहुत सोच समझकर. सरकारी सूत्रों के मुताबिक चीन को लगता है कि अगर उन्होंने अपनी सेना को वापस पीछे हटा लिया और भारत ने सेना पीछे न हटाई तो उनके लिए मुश्किलें हो सकती हैं. जबकि दुनिया जानती है कि भारत दूसरे की जमीन पर कभी गलत नजर नहीं डालता और अपनी जमीन को कभी दूसरे के हाथ जाने नहीं देता.
वहीं, भारतीय सेना चीन की विस्तारवादी नीति से भली-भांति वाकिफ है, लिहाजा चीन को कोई दूसरा मौका नहीं देना चाहती. कह सकते हैं कि दोनों देशों के बीच एलएसी पर भरोसे की कमी है. और इसी वजह से डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से की जा रही है. भारत और चीन के बीच मौजूदा विवाद का पहला डिसएंगेजमेंट पूर्वी लद्दाख में पैंगांग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से शुरू हुआ था.
इसके बाद पिछले महीने गोगरा से दोनों देशों की सेनाएं फेसऑफ से पीछे हटीं और अपने-अपने बेस पर लौट गईं. अभी भी हॉटस्प्रिंग और लंबे समय से डेपसान्ग और डेमचौक इलाके पर दोनों देशो की सेनाएं आमने सामने हैं. सरकार के सूत्रों के मुताबिक दोनों तरफ की सेनाओं को इस बात का शक का है कि कहीं पीछे हटने पर दूसरा वापस न आ जाए. हालांकि सूत्रों ने ये माना है कि बातचीत सही दिशा में हो रही है और सही दिशा में कदम बढ़ रहे हैं.