केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने RSS के साथ बातचीत करने के लिए जमात-ए-इस्लामी की आलोचना की। शनिवार को एक बयान में विजयन ने कहा कि मतभेदों के बावजूद जमात-ए-इस्लामी का यह रुख कि संघ परिवार के साथ चर्चा की जरूरत है, मुस्लिम संगठन के पाखंड को दर्शाता है। पिछले महीने दिल्ली में हुई जमात-ए-इस्लामी और आरएसएस के बीच हुई बातचीत पर निशाना साधते हुए विजयन ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी नेतृत्व को स्पष्ट करना चाहिए कि आरएसएस के साथ क्या चर्चा हुई और बैठक की किस संबंध में की गई थी।

जमात-ए-इस्लामी- RSS वह संगठन जिसे बातचीत के माध्यम से सुधारा जा सकता है
“जमात-ए-इस्लामी ने आरएसएस को लेकर यह तर्क दिया कि यह एक ऐसा संगठन है जिसे बातचीत के माध्यम से सुधारा और बदला जा सकता है। ठीक इसी तरह जैसे कि एक तेंदुए के प्रिंट को नहलाने से धोया जा सकता है ।इससे भी अजीब बात यह है कि “जमात-ए-इस्लामी ने यह तर्क दिया कि यह चर्चा देश के प्रशासन को नियंत्रित करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समक्ष भारतीय अल्पसंख्यकों की आम समस्याओं को प्रस्तुत करने के लिए आयोजित की गई थी।
“जमात-ए-इस्लाम को किसने दिया अल्पसंख्यकों की रक्षा का पूर्ण अधिकार”
केरल की सीएम ने दोनों की मुलाकात की कड़ी अलोचना की है। उन्होंने कहा कि “जमात-ए-इस्लाम को अल्पसंख्यकों की रक्षा का पूर्ण अधिकार किसने दिया? उन्होंने कहा कि बैठक का विषय कुछ भी हो लेकिन यह देश के अल्पसंख्यकों की मदद करने के लिए नहीं है। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मतलब धर्मनिरपेक्षता की सुरक्षा है। उन्होंने आगे कहा कि क्या ये आयोजक हैं जो नहीं जानते कि कौन व्यवधान डाल रहा है।” अगर हम ऐसे लोगों से बातचीत करते हैं तो धर्मनिरपेक्षता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा कैसे संभव हो सकती है?
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