पीएम मोदी ने जापान के प्रसिद्ध लेखक और फर्रांटेदार पद्मश्री से सम्मानित डॉक्टर टोमियो मिजोकामी से की मुलाकात
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के हिरोशिमा में जी-7 समिट में हिस्सा लिया। जापान यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के आग्रह पर उन्हें ऑटोग्राफ दिया। इस बीच मोदी ने जापान के प्रसिद्ध लेखक और फर्रांटेदार हिन्दी और पंजाबी बोलने वाले पद्मश्री से सम्मानित डॉक्टर टोमियो मिजोकामी से भी मुलाकात की। दोनों के बीच हिन्दी में बातचीत हुई। उन्होंने बताया कि वे भारतीय संस्कृति के काफी प्रभावित हैं।
पीएम मोदी और जापान के प्रसिद्ध शिक्षाविद्ध टोमियो मिजोकामी के बीच मुलाकात जापान के हिरोशिमा में जी-7 के शिखर सम्मेलन के मौके पर हुई। एएनआई से बातचीत में डॉ मिज़ोकामी ने कहा कि उन्होंने पीएम मोदी से आग्रह किया कि अगला ‘विश्व हिंदी सम्मेलन’ जापान में आयोजित किया जाए। यह पूछे जाने पर कि हिंदी भाषा में उनकी रुचि क्यों विकसित हुई, प्रोफेसर ने कहा, “मेरा जन्म जापानी शहर कोबे में हुआ था, जो उस समय काफी हद तक भारतीय आबादी का प्रभुत्व था… मैं उनसे प्रभावित था…मैं जानने के लिए उत्सुक था उनकी भाषा के बारे में जानूं… ”
नेहरू से प्रभावित
उन्होंने यह भी कहा कि वह पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू के प्रशंसक थे। कहा, “उस समय में, उनका (नेहरू) भी दुनिया भर में एक बड़ा प्रभाव था …. वह, ‘गुट-निरपेक्ष आंदोलन’ (शीत युद्ध की अवधि के दौरान) के संस्थापकों में से एक के रूप में, हम जैसे युवाओं के लिए एक प्रेरणा थे, जिन्होंने शांति और स्थिरता लाई। तो मैंने सोचा क्यों न ऐसे नेता की भाषा सीखी जाए।’
यूपी सरकार ने हिन्दी रत्न से नवाजा
ओसाका विश्वविद्यालय के डॉ टोमियो मिज़ोकामी को साहित्य और शिक्षा में उनके योगदान के लिए 2018 में प्रतिष्ठित ‘पद्म श्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनका पुरस्कार हिंदी और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए उनकी ‘अथक सेवा’ की स्वीकृति थी। उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 2001 में ‘हिंदी रत्न’ से भी नवाजा जा चुका है।
हिन्दी सीखने में पूरा जीवन समर्पित
81 वर्षीय लेखक ने भारत और जापान (ओसाका) में हिंदी सीखने, शोध करने और पढ़ाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। मिज़ोकामी का जन्म 1941 में हुआ था। अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने इलाहाबाद में 1965-68 तक हिंदी का अध्ययन किया। उन्होंने इस दौरान बंगाली सीखने के लिए भी सबक लिया।
डीयू से हिन्दी में मास्टर, 301 हिन्दी फिल्मों का अनुवाद
बाद में 1968 में, वे जापान लौट आए और शोध सहायक के रूप में ओसाका विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में शामिल हो गए। मिज़ोकामी दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के पूर्व छात्र भी हैं, जहां उन्होंने हिंदी भाषा में मास्टर डिग्री हासिल की है। बाद में उन्होंने 1983 में हिंदी में पीएचडी प्राप्त की। उन्होंने जापानी करीब 301 लोकप्रिय हिंदी फिल्मी गीतों का जापानी में अनुवाद किया है।
कैलिफोर्निया विवि में पंजाब के प्रोफेसर
उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने की दिशा में भी काम किया है। वह 1989-90 तक शिकागो विश्वविद्यालय और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में विजिटिंग स्कॉलर थे जहां उन्होंने पंजाबी पढ़ाया। 65 वर्ष की आयु में उन्हें ओसाका यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज के ‘प्रोफेसर एमेरिटस’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। मिज़ोकामी को 1999 में लंदन में ‘विश्व हिंदी सम्मान’ भी मिल चुका है।