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प्रदेश में जल्द ही शुरू होगा हैंड ट्रांसप्लांट

लखनऊ। प्रदेश में जल्द ही हैंड ट्रांसप्लांट शुरू होगा। ब्रेन डेड मरीजों से दान में लेकर जरूरतमंद मरीजों में प्रत्यारोपित किया जाएगा। इसकी शुरुआत केजीएमयू से करने की तैयारी है। यहां के प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर विजय कुमार प्रत्यारोपण का प्रशिक्षण लेने के बाद लाइसेंस लेने की तैयारी में है।
प्रदेश के सरकारी एवं निजी चिकित्सा संस्थानों में लिवर, किडनी, कार्निया का प्रत्यारोपण चल रहा है। हार्ट प्रत्यारोपण की तैयारी पूरी हो चुकी है। अब हाथों के प्रत्यारोपण की शुरुआत होने जा रही है। रविवार को मुंबई से हाथों के प्रत्यारोपण का प्रशिक्षण लेकर लौटे प्रो विजय कुमार ने बताया कि जल्द ही इसके लिए लाइसेंस लिया जाएगा।

   प्रो . विजय कुमार विभागाध्यक्ष प्लास्टिक सर्जरी

 

चुनौतीपूर्ण है हाथों का प्रत्यारोपण

प्रो विजय कुमार ने बताया कि मुंबई में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में देशभर के हैंड प्रत्यारोपण करने वाले विशेषत्र जुटे। सभी ने अपना अनुभव साझा किया। हाथ प्रत्यारोपण जटिल सर्जरी है। ब्रेन डेड होने वाले मरीज के परिजन अन्य अंगों की तरह हाथ दान करने के लिए जब राजी हो जाते हैं तो उसे निकाला जाता है। फिर संबंधित मरीज के उस हिस्से में कृत्रिम हैंड लगा दिए जाते हैं ताकि परिजनों को भावनात्मक रूप से तकलीफ न हो।
ब्रेन डेड से हाथ निकालने के बाद जरूरतमंद मरीज के हाथ की ग्राफ्टिंग की जाती है। मुख्य धमनियों, हड्डियों, नसों, मांसपेशियों सहित सभी आंतरिक हिस्से की माइक्रो प्लास्टिक सर्जरी की जाती है। ताकि खून का प्रवाह शुरू हो जाए।
सर्जरी के बाद मरीज को रिहैबिलिटेशन की जरूरत होती है। उसे फिजियोथेरेपी व आक्युपेशनल थेरेपी करानी होती है। मरीज को कुछ दवाएं ताउम्र लेनी पड़ती है। इसी तरह इम्यूनोलॉजिल दवाएं भी दी जाती हैं। ताकि लगाए गए कृत्रिम हाथ को शरीर स्वीकार कर ले। हाथ प्रत्यारोपण में करीब 10 से 15 लाख रुपया खर्च होता है।