फर्क इंडिया
डेस्क. बिहार के सदर अस्पताल में भी इन दिनों जुगाड़ पर ही काम हो रहा है। मामला जमुई के सदर अस्पताल का है। सोमवार (7 अगस्त) की देर रात झाझा की रेल पुलिस बेहोशी की हालत में एक यात्री को लेकर सदर अस्पताल पहुंची। यहां मरीज को भर्ती कराया गया। इलाज शुरू करने के लिए चिकित्सक ने कर्मी को यूरिनिल बैग और कुछ इंजेक्शन के साथ गैस की सुई देने का निर्देश दिया लेकिन यह सब दवाइयां इमरजेंसी के स्टॉक में नहीं मिलीं. ऐसे में यूरिनल बैग की जगह बोतल का ही इस्तेमाल कर लिया गया।

रात भर मरीज बेड पर ही छटपटाता रहा. जब अस्पताल प्रबंधक को देर रात फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। जब उन्हें इस बात की जानकारी मंगलवार (8 अगस्त) की अल सुबह हुई तो आनन-फानन में यूरिनल बैग सहित अन्य आवश्यक दवाइयों की पूर्ति कराई गई। इससे पूर्व भी इमरजेंसी का हाल कमोबेश इसी तरह रहा है।
बताया जाता है कि कभी टेटनस, कभी एनएस और आरएल, कभी सांप काटने के बाद लगाई जाने वाली सुई भी नहीं मिलती है। विभिन्न दवाइयां स्टॉक में नहीं मिलती हैं। कई बार मरीजों को यह सारी दवाइयां बाहर से खरीदना पड़ता है। इसके बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधक पूरी तरह लापरवाह बना हुआ है।
इस पूरे मामले में सदर अस्पताल के प्रबंधक रमेश कुमार पांडेय ने बताया कि जैसे ही मुझे सूचना मिली कि यूरिनल बैग नहीं है तो इसकी व्यवस्था की गई. स्टोर इंचार्ज का पैर फ्रैक्चर हो गया है जिस वजह से दवा खत्म होने की सूचना मुझे नहीं मिली थी। जितनी भी दवा की कमी थी उसे पूरा कर दिया गया है। आगे ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए संबंधित स्वास्थ्य कर्मियों को सख्त हिदायत दी गई है।
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