अमेरिका के केंद्रीय बैंक यूनाइटेड स्टेट्स फेडरल रिजर्व (US Fed) आज भारतीय समयानुसार 14 दिसंबर 2023 को 12.30AM को इस साल की आखिरी मौद्रिक नीति का एलान करेगा। यूएस फेड की मौद्रिक नीति बैठक 12-13 दिसंबर को आयोजित हो रही है। यूएस फेड की यह मीटिंग फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की बैठक (FOMC) के नाम से जानी जाती है।
रिपोर्ट्स की माने तो इस मीटिंग में ब्याज दर के साथ-साथ केंद्रीय बैंक के आर्थिक अनुमान रिपोर्ट भी जारी किए जाने की उम्मीद है। अमेरिकी मौद्रिक नीति का असर ग्लोबल मार्केट में देखने को मिलता है। वहीं, इस कैलेंडर ईयर की आखिरी मौद्रिक नीति होने के चलते भी दुनियाभर की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं।
यूएस फेड की मौद्रिक नीति से उम्मीदें
अमेरिकी ब्याज दरें 20 वर्षों की उच्चतम स्तर पर हैं। केंद्रीय बैंक ने 2022 और 2023 में लगातार दरों में वृद्धि की है। खबरों की मानें तो यूएस फेड लगातार तीसरी बार ब्याज दरें स्थिर रख सकता है।
- समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सीएमई फेडवॉच टूल के हवाले से अपनी रिपोर्ट में कहा कि अधिकांश वॉल स्ट्रीट व्यापारियों को उम्मीद है कि फेड दरें 5.25 से 5.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रह सकती हैं। वहीं मई 2024 की आगामी बैठक के दौरान दर में कटौती की 77 प्रतिशत संभावना की उम्मीद है।
- एपी ने रिपोर्ट में बताया है कि केंद्रीय बैंक के विश्लेषक ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ हासिल करने को लेकर काफी पॉजिटिव हैं। ऐसे में मुद्रास्फीति कम हो सकती है जबकि उच्च ब्याज दरें अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मंदी में जाने से रोकती है।
भारत को कैसे प्रभावित करती हैं
अमेरिकी अर्थव्यस्था दुनिया के सभी देशों को बराबर प्रभावित करती हैं। यूएस फेड अमेरिका में महंगाई को नियंत्रित करने के उद्देश्य से मौद्रिक नीति में ब्याज की दरें निर्धारित करता है। ये ब्याज दर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कैशफ्लो को नियंत्रित करता है, जिससे वहां के उद्योग सीधे प्रभावित होते हैं।
अमेरिकी उद्योग पर मौद्रिक नीति का प्रभाव दुनियाभर के बाजारों को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए अगर फेड ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी करता है तो भारतीय बाजार से विदेशी निवेश पैसा निकाल सकते हैं।
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