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दिल्ली: स्वदेशी जागरण मंच ने मोदी सरकार के प्रयासों को सराहा

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. अश्विनी महाजन ने कहा है कि समृद्ध भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्थापित किया गया स्वाबलंबी भारत अभियान (एसबीए) ग्रामीण भारत की दशा और दिशा में सुधार के साथ महिला सशक्तिकरण के मामले में अहम योगदान दे रहा है।

एसबीए के प्रयासों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ने के साथ महिला उद्यमों में भी तेजी से विकास हो रहा है। हरियाणा भवन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि यूपीआई, एआई, रोबोटिक्स, ड्रोन, अंतरिक्ष, सॉफ्टवेयर आदि प्रौद्योगिकी में सकारात्मक प्रयासों के कारण भारत वर्तमान में चौथी औद्योगिक क्रांति के बीच एक चमकता सितारा बन रहा है। महाजन ने कहा कि आर्थिक क्षेत्र से जुड़े नीतिगत मामले में पूर्व की सरकार की अदूरदर्शिता और उदासीनता के कारण भारत औद्योगिक क्रांति के मामले में दुनिया के साथ कदमताल नहीं कर पाया।

हालांकि, अब स्थिति में बड़ा बदलाव हुआ है। यूपीआई, एआई, ड्रोन, अंतरिक्ष सहित कई क्षेत्रों में भारत अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करा रहा है। इन क्षेत्रों में भारत के बेहतर प्रदर्शन में एसबीए ने अहम भूमिका निभाई है। खासतौर से एसबीए के प्रयासों के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में उल्लेखनीय बदलाव हो रहे हैं, खासकर महिला उद्यमों के विकास में देश नई इबारत लिख रहा है। महाजन ने कहा, अतीत में भारत उद्यमिता के मामले में दुनिया का नेतृत्व करता रहा है। इसी कारण कभी हमारे देश की पहचान सोने के चिड़िया के रूप में थी। एसबीए एक बार फिर से समृद्ध भारत का लक्ष्य हासिल कर भारत को पुरानी पहचान दिलाना चाहता है।

एसबीए लगातार कर रहा है काम
महाजन ने कहा, स्थापना के बाद से ही एसबीए देश में उद्यमिता को बढ़ावा दे रहा है। यह ग्रामीण भारत में प्रशिक्षण के अलावा अन्य सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है। देश में उद्यमिता की भावना को मजबूत करने के लिए संस्था ने स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में सैकड़ों कार्यक्रम आयोजित किए हैं और इसका बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

विनिर्माण क्षेत्र की हुई अनदेखी
सह संयोजक ने कहा कि बेलगाम वैश्वीकरण के कारण भारत में इसका सबसे बड़ा शिकार विनिर्माण क्षेत्र रहा। विनिर्माण का हिस्सा 1998-99 में 21.5 प्रतिशत से घटकर 2017 में 16 प्रतिशत हो गया। इसका कारण 2004 में औसत भारित टैरिफ 23.5 प्रतिशत से 2005-06 में 7 प्रतिशत से भी कम होना था।विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी में गिरावट के कारण रोजगार के अवसर कम हो गये। मेक इन इंडिया पहल और बाद में मोदी सरकार की आत्मनिर्भर भारत नीति ने खोए हुए रोजगार के अवसरों को वापस पाने के लिए विनिर्माण को बढ़ावा देने और साथ ही अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद की है। हमें इस दिशा में अपने प्रयास जारी रखने की जरूरत है।