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राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा की 40वीं वर्षगांठ पर वायुसेना ने किया स्मरण

विंग कमांडर राकेश शर्मा किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। आज से 40 साल पहले राकेश शर्मा अंतरिक्ष में प्रवेश करने वाले और वहां लंबा समय व्यतीत करने वाले पहले भारतीय बने थे और यह कीर्तिमान आज भी कायम है। किसी भारतीय का अंतरिक्ष में प्रवेश करना हमारे लिए एक स्वर्णिम पल था। आज भारतीय वायु सेना ने विंग कमांडर को याद किया।

40 साल पहले आज ही के दिन अपनी अंतरिक्ष यात्रा की थी
भारतीय वायुसेना ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘देश जब गगनयान मिशन की ओर रास्ता तय कर रहा है। ऐसे मौके पर आज के दिन हम स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा द्वारा की गई साहसिक अंतरिक्ष उड़ान को याद करते हैं। भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश ने 40 साल पहले आज ही के दिन अपनी अंतरिक्ष यात्रा की थी।’

सारे जहां से अच्छा…
भारतीय वायुसेना ने कवि अल्लामा इकबाल द्वारा लिखे गए प्रसिद्ध देशभक्ति गीत ‘सारे जहां से अच्छा’ की एक पंक्ति भी लिखी। दरअसल, इसके पीछे एक दिलचस्प किस्सा है। अंतरिक्ष से सोयूज टी-11 की क्रू के साथ ज्वॉइंट कॉन्फ्रेंस के जरिए देश ने पहली बार अंतरिक्ष में मौजूद भारत के नागरिक से बात की थी। उस समय इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं। उन्होंने राकेश शर्मा से पूछा था कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है? इस पर राकेश ने हिंदी में जवाब दिया था- सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा।

मात्र 35 साल की उम्र में रचा इतिहास
35 साल की उम्र में राकेश शर्मा अंतरिक्ष में गए थे। वे अंतरिक्ष में जाने वाले 128वें व्यक्ति और पहले भारतीय थे। राकेश शर्मा को 50 फाइटर पायलटों के टेस्ट के बाद चुना गया था। रवीश मल्होत्रा बैकअप के तौर पर उनके साथ थे। इसरो और सोवियत संघ (अब रूस) के ज्वॉइंट मिशन के तहत राकेश शर्मा ने तीन अप्रैल 1984 को सोयूज टी-11 से अंतरिक्ष यात्रा शुरू की थी। इस दौरान उनके साथ दो रूसी अंतरिक्ष यात्री यूरी माल्यशेव और गेनाडी सट्रेकालोव अंतरिक्ष के लिए रवाना हुए थे। यह उस वक्त के सोवियत रिपब्लिक ऑफ कजाखस्तान के एक अंतरिक्ष केंद्र से रवाना हुए थे।

इतने दिन अंतरिक्ष में बिताए
अंतरिक्ष में उन्होंने सात दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए थे। शर्मा ने रिमोट सेंसिंग और बायो-मेडिसिन सहित कई वैज्ञानिक अध्ययन और प्रयोग किए। चालक दल ने अंतरिक्ष के अधिकारियों के साथ एक सम्मेलन भी किया। बाद में राकेश शर्मा को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया। रूस ने उन्हें ‘हीरो ऑफ सोवियत यूनियन’ का खिताब दिया। वर्ष 1987 में भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर पद से रिटायर होने के बाद शर्मा ने हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड में काम किया। बाद में वह तेजस विमान प्रोजेक्ट के साथ भी जुड़े।